BPSC Result: औरंगाबाद में फुटपाथ पर सब्जी बेचने वाले का बेटा बना एसडीपीओ, बीपीएससी में हासिल किया 165 वां रैंक
दाउदनगर के अंछा पंचायत के जागा बिगहा के सब्जी विक्रेता देव मेहता के पुत्र दिलीप कुमार ने बीपीएससी की 65वीं परीक्षा 165 वां रैंक लाकर नाम रौशन किया है। दिलीप कुमार के कहा कि अपने ऊपर विश्वास करें और लक्ष्य के प्रति समर्पित रहें तो सफलता अवश्य मिलती है।
उपेंद्र कश्यप । दाउदनगर (औरंगाबाद): दाउदनगर प्रखंड के अंछा पंचायत के जागा बिगहा निवासी देव कुमार मेहता के पुत्र दिलीप कुमार ने जिले का नाम रोशन किया है। बीपीएससी की 65 वीं परीक्षा में सफल होकर 165 वां रैंक हासिल किया है। उनके पिता देव कुमार मेहता अंछा मोड़ पर सब्जी बेचते हैं। छोटे किसान हैं और किसी तरह पैसे बचाकर बेटे को पढ़ाने का प्रयास करते रहे।इनकी मां मीरा देवी हाउसवाइफ है, जबकि एक और भाई रॉबिन्स कुमार जनरल परीक्षा की तैयारी कर रहा है।
चाचा ने दिखाया तैयारी का रास्ता, खूब मिला सहयोग
दिलीप कुमार ने दैनिक जागरण से बातचीत करते हुए कहा कि उनके चाचा सेक्शन इंजीनियर श्री राम कुमार का उनके जीवन की सफलता में बड़ा योगदान है। वह बचपन से ही प्रेरित करते रहे और दिशा निर्देश देते रहे थे। दिलीप ने बताया कि मैट्रिक तक कादरी उच्च विद्यालय में पढ़े और उसके बाद 11 वीं एवं 12 की पढ़ाई वाराणसी स्थित सेंट जोसेफ कॉन्वेंट स्कूल में की। इसके बाद ग्रेजुएट एवं पोस्टग्रेजुएट दिल्ली विश्वविद्यालय से किया।
64 वीं बीपीएससी की परीक्षा में दो अंक से पिछड़े, 65 वीं में मारी बाजी
बताया कि 64 वीं बी पी एस सी की परीक्षा में दो अंक से पिछड़ गए थे। तब उनके ही गांव के बलवंत कुमार सफल होकर बीडीओ बने थे। बताया कि यह चौथी कोशिश थी, लेकिन गंभीरता से एक साल दिल्ली में रहकर तैयारी की। तब जाकर इस बार उन्हें सफलता मिल पाई। बीते 6 माह से वह जागा बीघा अपने पैतृक घर पर ही हैं। अपनी पीढ़ी के लोगों के लिए उन्होंने कहा कि अपने ऊपर विश्वास करें। लक्ष्य के प्रति समर्पित रहकर तैयारी करें। कहा कि सिलेबस के अनुसार स्मार्ट स्टडी करें। इसी से सफलता मिलेगी।
सुबह अपने खेतों में काम और शाम में सब्जी बेचते हैं दिलीप कुमार के पिता
दिलीप कुमार इस सफलता के चर्चा पूरे गांव में और आसपास के क्षेत्रों में भी हो रही है। लोग यह कहते नहीं थक रहे हैं कि एक सब्जी वाले के बेटा भी बीपीएससी निकाल सकता है। लोग दिलीप कुमार का उदाहरण देकर अपने पुत्रों को बता रहे हैं कि मन से यदि तैयारी की जाए तो कुछ भी असंभव नहीं है, नौकरी भी मिल जाती है। आसपास के लोगों ने भी बताया कि दिलीप कुमार के पिता ने अपने बच्चों की पढ़ाई में कोई कमी नहीं होने दी। वह दिन-रात बच्चों की पढ़ाई के लिए मेहनत किया करते हैं। सुबह अपने खेतों में काम करते हैं और शाम में सब्जी बेचा करते हैं।