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सात साल बनाम 155 किलोमीटर की सड़क अधूरी

नक्सल प्रभावित क्षेत्र में आज भी सरकार की योजनाएं धरातल पर पूर्णरूप से नहीं उतर सकी है।

By Edited By: Published: Tue, 14 Feb 2017 09:21 PM (IST)Updated: Tue, 14 Feb 2017 09:21 PM (IST)
सात साल बनाम 155 किलोमीटर की सड़क अधूरी
सात साल बनाम 155 किलोमीटर की सड़क अधूरी

गया। नक्सल प्रभावित क्षेत्र में आज भी सरकार की योजनाएं धरातल पर पूर्णरूप से नहीं उतर सकी हैं। जिन योजनाओं का शुभारंभ किया भी गया, उनमें से कई दम तोड़ती नजर आ रही हैं। इनमें से एक हैं डुमरिया से पटना के रानी तालाब तक बनने वाली फोर लेन सड़क। हालांकि प्रथम चरण में टू लेन सड़क बनाने का ही कार्य का शुभारंभ किया गया।

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जिले का अति नक्सल प्रभावित डुमरिया प्रखंड लाल क्षेत्र के नाम से जाना जाता हैं। डुमरिया से रानीतालाब भाया पटना तक बन रही 155 किलोमीटर लंबी सड़क सात वर्ष बीत जाने के बाद भी अधूरी है। सात वर्षो से ग्रामीण इस सड़क के पूरा होने की आस लगाए हैं। सड़क नही बन पाने के कारण मजबूरीवश यात्रियों से भरे वाहनों को कई जर्जर पुल से होकर गुजरना पड़ रहा हैं। हमेशा दुर्घटना की आशंका बनी रहती हैं। इमामगंज प्रखंड के विश्रामपुर गांव के समीप मोरहर नदी पर बनने वाले पुल का निर्माण कार्य एक वर्ष पूर्व तक चला। लेकिन उसके बाद से अचानक विभाग द्वारा पुल निर्माण का कार्य रोक दिया गया। निर्माण कार्य किस कारण से बंद है? इसकी जानकारी देने वाला कोई नहीं है। सड़क निर्माण में लगी कंपनी के अधिकारी या कर्मचारी क्षेत्र में कहीं नजर नहीं आते हैं।

फोर लेन सड़क पर तीन अरब की राशि होगी खर्च

डुमरिया से पटना के रानी तालाब तक बनने वाली इस महत्वाकांक्षी फोर लेन सड़क पर करीब 3 अरब की राशि खर्च होगी। लगभग 3 अरब की लागत से बनने वाले इस फोर लेन सड़क का निर्माण कार्य वर्ष 2009 में प्रारंभ हुआ था। जिसके बाद इस सड़क मार्ग पर पड़ने वाले गांवों के लोगों के चेहरे पर खुशी छा गयी थी। लोगों को यह विश्वास हो गया था कि उनकी आर्थिक मजबूती के साथ-साथ क्षेत्र का भी व्यापक विकास होगा।

कई बार हो चुका है नक्सली हमला

सड़क बनने के दरम्यान क्षेत्र में सक्रिय विभिन्न नक्सली संगठनों द्वारा रोक भी लगाई गई। लेवी की मांग को लेकर नक्सलियों ने कंपनी के कैंप पर कई बार हमला भी किया। निर्माण कार्य में लगे कई वाहनों को नक्सलियों द्वारा जला दिया गया। सभी परिस्थितियों से जूझने के बाद कंपनी 155 किमी लंबी सड़क निर्माण कार्य को पूरा करने के कगार पर पहुंची ही थी कि निर्माण कार्य अचानक बंद कर दिया गया। जो विगत एक वर्ष से बंद है। निर्माण कार्य पूरी तरह ठप पड़ा हुआ है।

बांकेबाजार पुल पर हो सकती है बड़ी दुर्घटना

प्रस्तावित फोर लेन सड़क के निर्माण कार्य के दौरान बाकेबाजार नदी पर पुल बनाने के लिए डायवर्सन बनाया गया था। जो गत वर्ष बारिश के दौरान क्षतिग्रस्त हो गया। इस डायवर्सन से भगवान भरोसे वाहनों का आवागमन होता हैं। इस नदी पर अंग्रेजों के शासनकाल का बना पुल ही क्षेत्र के लोगों के लिए आवागमन का एकमात्र साधन हैं। पूरी तरह से जर्जर हो चुका यह पुल लोगों के लिए अब खतरनाक साबित हो रहा है। पुल पर बनी सड़क पर कई जगह बड़े-बड़े गढ्डे हो गये हैं। जिस पर लोहे के चदरा को बिछाकर यात्री से भरे वाहनों को किसी तरह पार किया जाता हैं। जहां कभी भी बड़ी दुर्घटना हो सकती हैं। आवागमन का कोई विकल्प न होने के कारण इस पुल पर जान-जोखिम में डाल कर यात्री यात्रा करते हैं।

उधर इमामगंज प्रखंड के विश्रामपुर मोरहर नदी में बन रहे पुल का पाया तैयार कर दिया गया है। पुल की ढलाई भी हो गई है। केवल उपर वाले हिस्से को बनाने का कार्य बाकी रह गया है। लेकिन एक साल से निर्माण कार्य बंद रहने के कारण स्थित ज्यों की त्यों बनी हुयी है। क्षेत्र के लोगों का कहना हैं कि पुल नहीं बनने से उन्हें काफी परेशानी उठानी पड़ रही हैं। पुल की ऊंचाई काफी कम हैं। इस कारण बरसात के दिनों में नदी में पानी ज्यादा आ जाने के कारण पुल के उपर से पानी गुजरने लगता है। इस वजह से यातायात प्रभावित हो जाता हैं।


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