औरंगाबाद के इस अस्पताल की आइसीयू 'वेंटिलेटर' पर, एक महीने से एसी खराब; गर्मी से मरीज होते बेचैन
सदर अस्पताल में चार बेड का आइसीयू बनाया गया है। बनने के तीन वर्षों बाद तक आइसीयू बंद था परंतु कोरोना काल में इसे शुरू किया गया। मई माह से मरीजों का इलाज शुरू हुआ परंतु इसमें हमेशा कुछ न कुछ खराबी आते रह है।
जागरण संवाददाता, औरंगाबाद। गंभीर रूप से बीमार रोगियों के इलाज के लिए इसी वर्ष मई माह में सदर अस्पताल में आइसीयू खोला गया था। अब आइसीयू खुद बीमार हो गया है। बीमारी भी हल्की-फुल्की नहीं जो दवा देकर दुरुस्त किया जा सके बल्कि आइसीयू को बड़े ऑपरेशन की जरूरत हैं। फिलहाल इसके इलाज की संभावना दूर तक दिखाई नहीं दे रही है। आइसीयू का सबसे महत्वपूर्ण उपकरण एयर कंडीशन खराब हो गया है। इलाज के अभाव में एसी दम तोड़ चुका है। अब ऐसे में जो मरीज आइसीयू में भर्ती होते हैं, उनको कितना बेहतर इलाज मिलता होगा, इसका अंदाजा यहां की व्यवस्था देख सहज लगाया जा सकता है।
बता दें कि सदर अस्पताल में चार बेड का आइसीयू बनाया गया है। बनने के तीन वर्षों बाद तक आइसीयू बंद था परंतु कोरोना काल में इसे शुरू किया गया। मई माह से मरीजों का इलाज शुरू हुआ, परंतु इसमें हमेशा कुछ न कुछ खराबी आते रह है। कभी आक्सीजन पाइप तो कभी एसी। जब से आइसीयू शुरू हुआ है, यहां ऐसी की स्थिति बदहाल हो गई है। उमस भरी गर्मी में आइसीयू के मरीज तप रहे हैं। उन्हें एसी का लाभ नहीं मिल रहा है। एक महीने से आइसीयू का ऐसी खराब है परंतु कोई देखने वाला नहीं है।
अस्पताल प्रबंधन के द्वारा पंखा लगा दिया गया है परंतु एसी ठीक नहीं कराया जा रहा है। पंखा के हवा के बीच मरीजों का इलाज किया जा रहा है। लाइट कट जाने पर हाथ के पंखा से मरीजों को गर्मी से उबारने में सहारा बनता है। बता दें कि इस गहन चिकित्सा इकाई में गंभीर बीमारी के मरीजों को रख उनका बेहतर इलाज होता है। स्वजनों को भी संतोष होता है कि उनके मरीज को आइसीयू में रखा गया हैं, यानी हर सुविधाएं मिल रही होगी। बेहतर इलाज हो रहा हैं। अब उनके मरीज जरूर स्वस्थ हो जाएंगे। लेकिन विडंबना यह हैं कि यहां इलाज के नाम पर मात्र आक्सीजन के साथ कुछ दवाएं मिल रही हैं।
एयर कंडीशन का मजा ले रहे अधिकारी
एक तो बीमार, दूसरा गर्मी बेहिसाब। सरकारी अस्पताल स्थित आइसीयू में भर्ती मरीजों के मुंह से ऐसे ही आह निकल रही है। इस गर्मी में जहां अधिकारियों के लिए फुल कूलिग एसी चालू हैं। वहीं आइसीयू के मरीज परेशान हैं। गर्मी से छटपटाते मरीजों की सुध लेने वाला कोई नहीं हैं। आइसीयू का एसी एक महीने से खराब है परंतु कोई देखने वाला नहीं है। अगर साहब का एसी खराब हो जाए तो दो घंटे के अंदर बन जाता है परंतु आइसीयू का नहीं बन रहा है। बने भी क्यों, वहां साहब के कोई स्वजन व रिश्तेदार थोड़े न भर्ती हैं। मरीजों के तीमारदारों को घर से अपने पंखे लेकर आने पड़ते हैं।
आइसीयू निर्माण में अनियमितता
आइसीयू में आए दिन कोई न कोई परेशानी होते रहा है। कभी आक्सीजन खराब रहता है तो कभी एसी तो कभी और कुछ। ऐसे में यह साफ़ स्पष्ट हो रही है कि आइसीयू निर्माण में अनियमितता बरती गई है। सब देखते हुए भी अधिकारी जांच करने की बजाए मौन बैठे हुए हैं। आइसीयू में इलाज के नाम पर केवल खानापूर्ति किया जा रहा है। अगर आइसीयू निर्माण की जांच करा दी जाए तो अनियमितता सामने आएगी। दोषियों पर कार्रवाई हो सकेगी।
कहते हैं प्रबंधक
सदर अस्पताल के प्रबंधक हेमंत राजन ने बताया कि अस्पताल प्रबंधन की ओर से कोई परेशानी नहीं है। बिजली विभाग के द्वारा जो सदर अस्पताल में ट्रांसफार्मर लगाया गया है उसमें अर्थिंग नहीं है जिस कारण वोल्टेज कभी कम कभी बहुत अधिक हो जाता है। इससे एसी का मशीन जल जा रहा है। अर्थिंग कराने के लिए बिजली विभाग के अधिकारी से बात की गई है। लिखित पत्र भेजा गया है परंतु वे ध्यान नहीं दे रहे हैं।