होलिका दहन कल संध्या 6:58 से रात्रि 8:40 बजे तक
गया। मां बंगला स्थान मंदिर के व्यवस्थापक पंडित नागेंद्र मिश्र ने बताया कि ¨हदू धार्मिक ग्रंथों के अन
गया। मां बंगला स्थान मंदिर के व्यवस्थापक पंडित नागेंद्र मिश्र ने बताया कि ¨हदू धार्मिक ग्रंथों के अनुसार होलिका दहन को होलिका दीपक और छोटी होली के नाम से भी जाना जाता है। सूर्यास्त के बाद पूर्णिमा तिथि व्याप्त हो तथा भद्रा मुख को त्याग कर रात्रि में होलिका दहन करना चाहिए। एक मार्च यानी गुरुवार को होलिका दहन के लिए संध्या 6:58 से 8:40 बजे तक शुभ काल है। उन्होंने होलिका दहन के महत्व पर बताया कि दानवों के राजा हिरण्यकश्प ने देखा कि उसका पुत्र प्रहलाद भगवान विष्णु की आराधना में लीन हो रहा है तो क्रोधित हो उठा। उसने अपनी बहन होलिका को आदेश दिया कि प्रहलाद को अपनी गोद में लेकर अग्नि में बैठ जाए। होलिका को वरदान प्राप्त था कि अग्नि उसे जला नहीं सकती है, परंतु जब वह विष्णु भक्त प्रहलाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठी तो वह स्वयं जलकर राख हा गई। प्रहलाद को एक खरोंच तक नहीं नहीं आई। तभी से होलिका दहन किया जाता है।