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Health: कोरोना के संक्रमण से ठीक हो चुके लोग जरुर करा लें यह जांच, छह से नौ महीने तक चलती हैं बिल्कुल मुफ़्त दवाइयां

कोरोना संक्रमण से ग्रसित हो चुके लोग आज अगर बिलकुल सामान्य एवं स्वस्थ जीवन व्यतीत कर रहे तो भी उन्हें टीबी की जांच जरुर करानी चाहिए। यह जरुरी नहीं है कि ऐसे व्यक्तियों में टीबी के लक्षण नजर आए लेकिन ऐसे लोग लेटेन्ट टीबी से ग्रसित हो सकते हैं।

By JagranEdited By: Prashant Kumar pandeyPublished: Wed, 28 Sep 2022 02:26 PM (IST)Updated: Wed, 28 Sep 2022 02:26 PM (IST)
Health: कोरोना के संक्रमण से ठीक हो चुके लोग जरुर करा लें यह जांच, छह से नौ महीने तक चलती हैं बिल्कुल मुफ़्त दवाइयां
टीबी की जांच करते पैथोलोज़ी के कर्मचारी

 जासं, भभुआ: बीते दो वर्षों से कोरोना संक्रमण ने सभी को किसी न किसी रूप में प्रभावित किया है। लोगों की जीवनशैली में परिवर्तन स्पष्ट नजर आता है और अब लोग सर्दी, खांसी एवं बुखार जैसी सामान्य लक्षणों को भी गंभीरता से लेते हैं। कोरोना संक्रमण से वैसे लोग प्रभावित हुए जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर थी। कोरोना का संक्रमण सबसे अधिक फेफड़ों पर असर करता है। इसलिए चिकित्सक मानते हैं कि कोरोना संक्रमण से ठीक हो चुके लोगों को समय-समय पर टीबी की जांच जरुर करानी चाहिए। 

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टीबी भी डालता है इंसान के फेफड़ों पर असर

जिला अपर मुख्य चिकिसा पदाधिकारी डा. जे. एन. सिंह ने बताया कि कोरोना संक्रमण की तरह ही टीबी भी इंसान के फेफड़ों पर असर डालता है। कोरोना संक्रमण से ग्रसित हो चुके लोग आज अगर बिलकुल सामान्य एवं स्वस्थ जीवन व्यतीत करना चाहते हैं तो उन्हें टीबी की जांच जरुर करानी चाहिए। यह जरुरी नहीं है कि ऐसे व्यक्तियों में टीबी के लक्षण नजर आए, लेकिन ऐसे लोग लेटेन्ट टीबी से ग्रसित हो सकते हैं। लेटेन्ट टीबी के लक्षण स्पष्ट नजर नहीं आते हैं और इसकी पुष्टि जांच से ही संभव है। टीबी और कोविड दोनों संक्रामक रोग है और दोनों बीमारियों में खांसी, बुखार एवं सांस लेने में तकलीफ जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। 

टीबी का उपचार छह से नौ महीने तक, दवाइयां बिल्कुल मुफ़्त

उन्होंने बताया कि वर्तमान समय में टीबी के उपचार के लिए अलग-अलग एंटीबायोटिक्स, एंटीबेक्टेरियल्स दवाओं का एक साथ प्रयोग किया जाता है। यह उपचार लगातार छह से नौ महीने तक चलता है। दवा खाने के दौरान किसी भी तरह से अंतराल नहीं होना चाहिए। वर्तमान समय में टीबी के मरीजों की संख्या देखते हुए उपचार एवं दवाइयां बिल्कुल मुफ्त कर दी गई हैं, जो किसी भी स्वास्थ्य केंद्र पर आसानी से निशुल्क उपलब्ध है। उपचार के दौरान टीबी के मरीज़ों को पौष्टिक आहार खाने पर विशेष ध्यान देने की जरूरत पड़ती है। 

टीबी की बीमारी का छुआछूत से नहीं है कोई संबंध

उन्होंने बताया कि टीबी छुआछूत की बीमारी नहीं है। इसलिए लोगों को डरने की आवश्यकता नहीं है। यदि घर के किसी भी व्यक्ति में टीबी की बीमारी से जुड़े कोई भी शुरुआती लक्षण दिखाई दे तो तुरंत ही जांच कराएं। इसके लिए सरकारी अस्पतालों में कोई फीस नहीं लगती है। उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति चाहे तो वह टीबी बीमारी की जांच करवा सकता है। यदि आसपास किसी भी व्यक्ति में टीबी के लक्षण दिखाई दे तो उसे जांच कराने के लिए सलाह दें।

विभिन्न जगहों पर कैंप लगाकर होती है टीबी जांच

उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा भी समय-समय पर जिले के विभिन्न जगहों पर कैंप लगाकर टीबी जांच की जाती है। टीबी इससे ग्रसित लोगों के संपर्क में आने या छूने से नहीं फैलता है। इसलिए लोग यह भ्रम न पालें कि टीबी रोग छूने से या मरीज के संपर्क में आने से फैलता है, छींकने या खांसने से टीबी फैलने का खतरा ज्यादा होता है, इसलिए जो लोग इस बीमारी से ग्रसित हैं वह मुंह को हमेशा तौलिया या मास्क से ढक कर रखें।


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