कठिन मेहनत और लगन ने इन छात्रों को पहुंचाया आइआइटी, जानिए कैसे इन्हें मिली सफलता
औरंगाबाद के देव प्रखंड क्षेत्र के तीन मेधावी बच्चे आइआइटी में शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। ये तीनों निम्नवर्गीय परिवार से आते हैं। मगध सुपर थर्टी में सेलेक्शन के बाद तीनों ने मेहनत और समर्पण से लक्ष्य हासिल कर लिया।
मनीष कुमार, औरंगाबाद। जहां सामान्य शिक्षा लेना भी किसी चुनौती से कम नहीं हो, वहां यदि उच्च शिक्षा और उसमें भी देश के शीर्षस्थ संस्थान में अध्ययन की बात सपने से कम नहीं लगती। नक्सली गतिविधियाें के लिए बदनाम रहे देव प्रखंड क्षेत्र के तीन बच्चे गरीबी समेत तमाम अन्य बाधाओं को पार करते हुए सफलता की नई कहानी लिख रहे हैं। आइआइटी (Indian Institute of Technology) में दाखिला लेनेवाले ये बच्चे दूसरों के लिए भी प्रेरक है।
देव में किराना एवं जेनरल स्टोर दुकानदार राजेश कुमार उर्फ राजू कुमार का बेटा शुभम आइआइटी कानपुर (IIT Kanpur) में तीसरे वर्ष की पढ़ाई कर रहा है। देव में ही एक निजी विद्यालय में पढ़ाकर अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे भवानीपुर गांव निवासी प्रभाकर सिंह का पुत्र आकाश कुमार आइआइटी रुड़की (IIT Roorkee) का छात्र है। वहीं राजेश कुमार गुप्ता का पुत्र हर्षदेव दिल्ली टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी (Delhi Technological University) में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा है।
पूर्व डीजीपी के मगध सुपर थर्टी ने दिया मुकाम
तीनों बच्चे मैट्रिक की परीक्षा पास करने के बाद पूर्व डीजीपी अभयानंद के मार्गदर्शन में गया में संचालित मगध सुपर थर्टी में चुन लिए गए। यहां रहकर निश्शुल्क पढ़ाई की। मेहनत और लगन के साथ मार्गदर्शन की बदौलत तीनों को उच्च शिक्षा संस्थान में दाखिला मिल गया। लक्ष्य के प्रति दृढ़ निश्चय और समर्पण को देख जैसे ईश्वर ने भी इनके लिए रास्ते खोल दिए। रविवार को जब अभयानंद देव पहुंचे तो तीनों बच्चे उनसे मिले। अभयानंद ने उन्हें शुभकामनाएं दीं। राज्य के पूर्व पुलिस महानिदेशक अभयानंद कहते हैं की परिश्रम और संघर्ष की बदौलत हर मुसीबत को दूर किया जा सकता है। किसी भी बच्चे को पढ़ाई का अच्छा माहौल और अच्छा समाज मिले तो वे बेहतर कर सकते हैं। यहां के तीनों बच्चों ने संघर्ष के बदौलत ही मुकाम हासिल किया है।
पांच से छह घंटे की पढ़ाई से मिली सफलता
आइआइटी रुड़की तो आकाश के लिए सपना था। आकाश बताते हैं कि इतने बड़े संस्थान में दाखिले की सोच भी नहीं सकता था। लेकिन यह भी तय कर लिया था कि मेहनत करेंगे तो सब कुछ संभव है। सुपर थर्टी में दाखिला लेने के बाद नियमित रूप से पांच से छह घंटे पढाई की। आखिरकार मुकाम हासिल हो गया। शुभम कहते हैं कि आइआइटी में सफलता पाना कठिन नहीं है। हां मेहनत और समर्पण तो दिखाना होगा। मन लगाकर पढ़ाई करने से सफलता तय है। हर्षदेव भी कहते हैं कि मेहनत का कोई विकल्प नहीं। यदि लगन से पढ़ाई की जाए तो गरीबी और अन्य बाधा स्वत: दूर हो जाती है। तीनों मेधावी छात्रों ने कहा की पूर्व डीजीपी अभयानंद सर का मार्गदर्शन और मगध सुपर थर्टी ने हमें यह मुकाम दिलाया है।