Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    विकास के लिए छटपटा रहा हदहदवा जलप्रपात, बन सकता है गया का ‘ककोलत’

    Updated: Sun, 02 Nov 2025 03:23 PM (IST)

    गया जिले में कुबड़ी और बैताल की सीमा पर स्थित हदहदवा जलप्रपात विकास की बाट जोह रहा है। कभी यह स्थल सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियों का केंद्र था, लेकिन सरकारी उपेक्षा के कारण गुमनामी में चला गया। अब, सरकारी प्रयासों से इसे ककोलत की तर्ज पर विकसित करने की योजना है, जिससे स्थानीय लोगों में उम्मीद जगी है कि यह क्षेत्र पर्यटन के मानचित्र पर अपनी पहचान बनाएगा।

    Hero Image

    विकास के लिए छटपटा रहा हदहदवा जलप्रपात

    संवाद सहयोगी, शेरघाटी (गया)। गया जिले के दक्षिणी इलाके में बैताल पंचायत अंतर्गत कुबड़ी व बैताल सीमा क्षेत्र में स्थित हदहदवा जलप्रपात विकास की बाट जोह रहा है। ठढिया हदहदवा और ऊपरी पहाड़ी से बहता यह सदा नीरा जलस्रोत न केवल स्थानीय लोगों की जीवन रेखा है बल्कि प्राकृतिक सौंदर्य का अनोखा प्रतीक भी है। 

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    जमींदारी काल में यह स्थल सामाजिक, सांस्कृतिक और रचनात्मक गतिविधियों का केंद्र रहा है, परंतु सरकारी उपेक्षा और माओवादी प्रभाव के कारण वर्षों से यह स्थल गुमनामी में चला गया।

    स्थानीय बुजुर्गों के अनुसार, जमींदारी समाप्ति के बाद क्षेत्र में माओवादी गतिविधियों के बढ़ने से यहां की सांस्कृतिक परंपराएं भी समाप्त हो गईं। एक समय सावन पूर्णिमा और बसंत पंचमी के अवसर पर यहां तीन दिवसीय नाटक, नृत्य और लोक संगीत के आयोजन होते थे। ग्रामीणों का कहना है कि पहाड़ी से गिरते जल की गर्जना और आसपास की प्राकृतिक छटा इसे एक रमणीक स्थल बनाती है।

    ककोलत की तर्ज पर विकास की संभावना

    वन प्रक्षेत्र पदाधिकारी ने बताया कि हदहदवा जलप्रपात अब सरकार के संज्ञान में आ गया है। स्थल का सर्वे कर भौगोलिक स्थिति का आकलन किया जाएगा। पहाड़ी के नीचे चेक डैम का निर्माण कर इसे सिंचाई और पर्यटन के दृष्टिकोण से विकसित किया जाएगा। इससे जलस्तर बरकरार रहेगा और आसपास के गांवों को सिंचाई सुविधा मिलेगी।

    स्थानीयों में जगी उम्मीदें

    पंचायत मुखिया मिथुन पासवान ने बताया कि आज भी सावन पूर्णिमा, बसंत पंचमी और नए वर्ष पर ग्रामीण यहां स्नान कर वनभोज का आयोजन करते हैं। 65 वर्षीय सूरज यादव बताते हैं कि उन्होंने इस झरने को सालों भर बहते देखा है। गर्मी की ऋतु में भी यह पानी मानव और पशुओं के लिए अमृत जैसा साबित होता है।

    ग्रामीणों का मानना है कि यदि इस पर चेक डैम बनाया जाए तो यह क्षेत्र सिंचाई के साथ-साथ पर्यटन के मानचित्र पर अपनी अलग पहचान बना सकेगा। सरकारी पहल से हदहदवा जलप्रपात फिर से अपने गौरवशाली इतिहास को जी उठेगा और ‘गया का ककोलत’ बनकर उभरेगा।