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मरीजों के लिए सुरक्षित नहीं सरकारी अस्पताल

मगध प्रमंडल के एकमात्र सबसे बड़े अस्पताल अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल सह अस्पताल के गायनी विभाग से गुरुवार सुबह हुई नवजात की चोरी ने अस्पताल की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

By JagranEdited By: Published: Fri, 11 Oct 2019 09:32 PM (IST)Updated: Fri, 11 Oct 2019 09:32 PM (IST)
मरीजों के लिए सुरक्षित नहीं सरकारी अस्पताल
मरीजों के लिए सुरक्षित नहीं सरकारी अस्पताल

गया । मगध प्रमंडल के एकमात्र सबसे बड़े अस्पताल अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल सह अस्पताल के गायनी विभाग से गुरुवार सुबह हुई नवजात की चोरी ने अस्पताल की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं। सुरक्षाकर्मियों के साथ ही सीसीटीवी कैमरे भी हैं। पिछले दो वर्षो में बच्चा चोरी के दो मामले सामने आ चुके हैं। इसके बावजूद अस्पताल प्रशासन इस मामले पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर रहा है। यह पहली घटना नहीं, बल्कि दूसरी बार नवजात की चोरी से अस्पताल प्रशासन की व्यवस्था फिर से कटघरे में है।

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सुरक्षा पर लाखों खर्चे

मगध मेडिकल अस्पताल की सुरक्षा की जिम्मेदारी निजी एजेंसी के हाथ में है। इसके लिए अस्पताल प्रशासन ने 70 सुरक्षाकर्मियों को रखा है। इनके द्वारा तीन-तीन शिफ्ट में व्यवस्था की देखभाल का जिम्मा सौंपा गया है। इसके लिए अस्पताल प्रशासन द्वारा हर महीने निजी एजेंसी को 15 लाख रुपये से अधिक दिए जाते हैं। बावजूद सुरक्षा राम भरोसे है।

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ड्रेस कोड का नहीं

हो रहा अनुपालन

अस्पताल के गायनी वार्ड से नवजात की चोरी के बाद भी अस्पताल प्रशासन गंभीर नहीं है। अस्पताल के अधिकतर कर्मचारी ड्रेस कोड का अनुपालन नहीं कर रहे हैं। यहां प्राइवेट कंपनी के माध्यम से रखे गए दाई व वार्ड कर्मचारी बिना आइकार्ड व ड्रेस कोड के ड्यूटी दे रहे हैं। यही कारण है कि संदिग्ध व्यक्ति अपने को स्टॉफ बताकर घटना को अंजाम दे रहे हैं।

गौरतलब है कि इसी के कारण गुरुवार को भी गायनी वार्ड से अनजान महिला ने स्टाफ बताकर नवजात की चोरी कर ली।

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वर्ष 2007 में आइसीयू

से हुई थी चोरी

बच्चे की चोरी अस्पताल के लिए पहली घटना नहीं है। वर्ष 2007 में मगध मेडिकल अस्पताल से नवजात की चोरी हो चुकी है। यहां के आइसीयू स्थित निकू वार्ड से भी नवजात की चोरी हुई थी। उस वक्त भी अस्पताल प्रशासन गंभीर नहीं था। कुछ दिन बीतने के बाद धीरे-धीरे मामला शांत हुआ और बच्चे का कोई अता-पता नहीं चल सका था। उस वक्त अस्पताल अधीक्षक सुधीर कुमार सिन्हा थे।

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रोकने-टोकने वाला कोई नहीं

मगध मेडिकल अस्पताल के वार्ड में कब कौन घुस जाए और वारदात को अंजाम दे दे, कहा नहीं जा सकता है। रोकने-टोकने वाला कोई नहीं। अस्पताल के सुरक्षाकर्मियोंद्वारा न तो पूछताछ करते हैं, न ही किसी प्रकार की जांच होती है। ऐसे में कभी कोई वारदात को अंजाम दे सकता है। यही कारण है कि सक्रिय गिरोह द्वारा सॉफ्ट टारगेट के रूप में मासूमों को निशाना बनाया जा रहा है।

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नवजात की चोरी को लेकर अस्पताल प्रशासन पूरी तरह गंभीर है। इसके लिए मगध मेडिकल थाने में भी मामला दर्ज किया गया है। वार्डो में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर जायजा लिया गया है। साथ ही सुरक्षा से संबंधित कई निर्देश भी दिए गए हैं।

प्रदीप कुमार अग्रवाल, उपाधीक्षक, एएनएमएमसीएच, गया


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