Gaya: सृजन पर्व दीपावली दीयों का है त्योहार, जानिए पूजा का शुभ मुहूर्त और सूर्य ग्रहण का समय
लक्ष्मी जी का पूजन व्यवसायी गृहस्थ एवं साधक सभी करते हैं । इस वर्ष सभी वर्गो के लिए प्रदोष काल एवं वृष लग्न उत्तम है। इस वर्ष प्रदोष काल का समय 637 बजे से शाम 740 बजे तक है। इस अवधि में पूजन करना उत्तम है।
जागरण संवाददाता, गया : एस्ट्रोलाजिक प्लाइंट आफ इंडिया के उपाध्यक्ष प्रमोद कुमार सिन्हा ने कहा है कि दीपावली मुख्य रूप से धन-धान्य की अधिष्ठात्री महालक्ष्मी, ऋद्धि-सिद्धि प्रदाता गणपति और विद्या एवं पूर्ण ज्ञान की दात्री सरस्वती देवी की पूजा-आराधना का पर्व है। धन, सम्पत्ति, वैभव, विद्या और ज्ञान प्रदायक इस देवी की पूजा दीपावली की रात प्रत्येक परिवार में की जाती है। दीपावली, दीपों का त्योहार है। सृजन का पर्व है। इस पर्व से हम सब नई ऊर्जा से सराबोर होते है। यही नई ऊर्जा आने वाले एक वर्ष के लिए जीवन की शक्ति देती है।
साधकों के लिए ऊर्जा व शक्ति अर्जित करने का पर्व
शास्त्रों के अनुसार श्री महालक्ष्मी पूजन एवं दीपावली महापर्व के लिए कार्तिक कृष्ण अमावस में प्रदोष काल एवं अर्द्धरात्री व्यापिनी अमावस, तुला का सूर्य एवं तुला राशि का चंद्रमा विशेष महत्वपूर्ण माने जाते हैं। दीपावली का पर्व साधको के लिए भी ऊर्जा एवं शक्ति अर्जित करने का पर्व है। क्योंकि सूर्य जिसमें पालन-पोषण एवं संहार के शक्तियां स्थित है, और चंद्रमा मन रक्त संचार का कारकत्त्व लिए हुए तुला राशि पर स्थित होकर मनुष्य को एकाग्रचित कर आत्मज्ञान, शक्तियां एवं ऊर्जा में वृद्धि करता है।
मुहूर्त काल :
लक्ष्मी जी का पूजन व्यवसायी, गृहस्थ एवं साधक सभी करते हैं । इस वर्ष सभी वर्गो के लिए प्रदोष काल एवं वृष लग्न उत्तम है। 24 अक्टूबर यानी सोमवार को गया तथा आसपास के इलाकेे में सूर्यास्त 5:16 बजे होगा। इस अवधि से लेकर 2:24 बजे तक का समय प्रदोष काल का रहेगा। प्रदोष काल में स्थिर लग्न सबसे उत्तम रहता है।वृष लग्न- लक्ष्मी पूजन के लिए प्रदोष काल में स्थिर लग्न होने पर सर्वोतम माना जाता है। इस वर्ष वृष लग्न शाम 6:37 बजे लेकर रात 8:35 बजे तक रहेगा।
वृष लग्न में प्रदोष काल
इस वर्ष वृष लग्न की कुल अवधि में प्रदोष काल का समय 6:37 बजे से लेकर शाम 7:40 बजे तक है। अतः इस अवधि में पूजन करना सर्वोत्कृष्ट फल देने वाला होता है। सिंह लग्न- वृष लग्न के अलावा दूसरा स्थिर लग्न सिंह लग्न का समय रात 1:06 बजे से लेकर रात 3: 23 बजे मिनट तक रहेगा।
25 अक्टूबर को सूर्य ग्रहण
दिनांक 25 अक्टूबर को दोपहर 2:28 बजे से लेकर शाम 6: 32 बजे मिनट तक सूर्य ग्रहण रहेगा। अतः शास्त्रों के मतों के अनुसार सूर्य ग्रहण से 12 घटे पहले सूतक काल का समय हो जाता है। उस अवधि में देवी-देवताओं का पूजन अथवा स्पर्ष करना भी वर्जित होता है। अतः सिंह लग्न में शुभ मुर्हूत1:06 बजे से लेकर रात 2: 25 बजे मिनट तक का ही समय उपयुक्त रहेगा। इस वर्ष सिंह लग्न में उपर बताए गए समय के अनुसार लक्ष्मी पूजन करना उत्तम होगा।