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Gaya CoronaVirus ALERT: कोरोना की चपेट में गया का मगध मेडिकल कॉलेज एवं अस्‍पताल का लैब, जांच पर असर

Bihar CoronaVirus ALERT बिहार के गया स्थित मगध मेडिकल कॉलेज एंव अस्‍पताल की लैब के कर्मी कोरोनावायरस संक्रमण की चपेट में हैं। इसका असर जांच पर पड़ा है। जांच की सुस्‍त रफ्तार से आम लोग परेशान हो गए हैं।

By Amit AlokEdited By: Published: Mon, 19 Apr 2021 10:12 AM (IST)Updated: Mon, 19 Apr 2021 10:12 AM (IST)
Gaya CoronaVirus ALERT: कोरोना की चपेट में गया का मगध मेडिकल कॉलेज एवं अस्‍पताल का लैब, जांच पर असर
कोरोनावायरस संक्रमण की जांच की प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर।

गया, जागरण संवाददाता। Gaya CoronaVirus ALERT बिहार के गया जिले के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल मगध मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल की लैबोरेट्री ही संक्रमण की चपेट में आ गया है। यहां काम करने वाले डॉक्टर, लैब टेक्नीशियन, डाटा एंट्री ऑपरेटर समेत चतुर्थ वर्गीय कर्मी कोरोनावायरस से संक्रमित हो गए हैं। लैब में करीब 20 कर्मी हर रोज काम करते हैं, लेकिन आलम यह है इनमें से करीब 14 कर्मी संक्रमित होकर आइसोलेशन में चले गए हैं। यहां के दो डॉक्टर भी संक्रमित हो चुके हैं। इसके अलावा आधा दर्जन लैब टेक्‍नीशियन भी संक्रमित हैं। अन्य पदों पर कार्यरत कई कर्मियों के भी संक्रमित होने की सूचना है। ऐसे में कोरोनावायरस संक्रमण की आरटीपीसीआर लांच प्रभावित हो गई है। संक्रमण अधिक होने के कारण शनिवार को लैब का काम पूरी तरह से बंद रहा। रविवार की दोपहर से दोबारा से शुरू किया गया है, लेकिन काम की रफ्तार सुस्‍त है।

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पहले रोज हो रहे थे 2200 जांच, अभी केवल 900

पहले की तुलना में अस्‍पताल में आरटीपीसीआर जांच की क्षमता कम हो गई है। ऐसा कर्मियों के संक्रमित होने व उनकी कमी की वजह से हो रहा है। कुछ दिन पहले तक यहां रोजाना औसतन 2200 जांच रोज हो रही थी। अभी औसतन 800 से 900 जांच रोज हो रही है। जांच में कमी आने से आम लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। रविवार को जयप्रकाश नारायण अस्पताल में दर्जनों लोग आरटीपीसीआर जांच के लिए हलकान होते दिखे। आज भी यही नजारा है।

अस्पताल में अभी नहीं हो रही ट्रूनैट से जांच

मेडिकल लैब के एक्सपर्ट के अनुसार आरटीपीसीआर का की एक मशीन करीब डेढ़ से दो घंटे में 96 सैंपल की रिपोर्ट देती है। इतने समय तक मशीन के अंदर सैंपल रहता है। यहां आरएनए एक्स्ट्रेशन सिस्टम पर लैब टेक्नीशियन जांच से संबंधित प्राथमिक काम करते हैं। यह मशीन एक ही है। मेडिकल अस्पताल में ट्रूनैट से जांच अभी नहीं हो रही है।

अधिक काम के बोझ में हो रही गलतियां

लैब में कम कर्मियों पर अधिकाधिक काम का बोझ है। ऐसे में जांच रिपोर्ट कईयों का उल्टा-पुल्टा हो जा रहा है। मसलन जांच में वास्तविक रिपोर्ट पॉजिटिव रहती है, लेकिन जल्दबाजी में डाटा अपलोड करने और सैकड़ों रिपोर्ट की जल्दबाजी में एक-दो लोगों की रिपोर्ट गलत टाइप हो जाती है। मसलन मैसेज निगेटिव चला जाता है। एक ऑपरेटर अधिकतम 800 से 900 सौ डाटा एंट्री कर पाता है। कर्मियों की कमी से पोर्टल पर एंट्री काफी स्लो हो गई है। इधर, जिन लोगों के मोबाइल पर मैसेज निगेटिव आती है और वास्तविक रिपोर्ट पॉजिटव रहती है, उनकी चिंता बढ़ जाती है।

लैब में तीन शिफ्ट में कर्मियों की जरूरत

(किस पद पर कितने कर्मी चाहिए)

डाटा ऑपरेटर- 18 ( हर शिफ्ट में 6 )

लैब टेक्नीशियन-21 ( हर शिफ्ट में 7 )

डॉक्टर रोस्टर के अनुसार 2 से 3 काम करते हैं।


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