वर्ष 2013 से बांग्लादेशी आतंकियों के निशाने पर बुद्धभूमि
गया । शांति की भूमि बोधगया वर्ष 2013 से ही बांग्लादेशी आतंकियों के निशाने पर है। इसका उद्भेदन घटित घ
गया । शांति की भूमि बोधगया वर्ष 2013 से ही बांग्लादेशी आतंकियों के निशाने पर है। इसका उद्भेदन घटित घटनाओं और आतंकियों की गिरफ्तारी के बाद राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) की जांच रिपोर्ट से होता रहा है।
वर्ष 2013 के जुलाई में विश्वदाय धरोहर महाबोधि मंदिर सहित बोधगया के अन्य स्थानों पर हुए सीरियल बम ब्लास्ट और बम प्लांट करने में बांग्लादेशी आतंकियों का हाथ था। इसमें शामिल सभी आतंकी पकड़े गए और उन्हें एनआइए की विशेष अदालत ने सजा सुनाई। उस घटना के लगभग पांच वर्ष बाद जनवरी 2018 में बोधगया में कई जगहों पर आतंकियों ने बम प्लांट किया था। उस समय बोधगया के कालचक्र मैदान पर आध्यात्मिक गुरु दलाईलामा का विशेष टिचिंग चल रहा था। तभी मैदान की गेट संख्या छह के पास एक बम धमाका हो गया था। मंत्रोच्चार की आवाज तले बम की आवाज दब गई थी। उसके बाद तलाशी अभियान चलाकर कई जगहों से बम बरामद किए गए थे। इन बमों को निरंजना नदी में निष्क्रिय किया गया था। उसके बाद एनआइए ने कोलकाता सहित कई जगहों से घटना में शामिल कई आतंकियों को गिरफ्तार किया था। एक आतंकी को लेकर सितंबर 2018 में एनआइए की टीम ने बोधगया में बम प्लांट करने का डेमो कराया था। उसके बाद एक आतंकी ने कालचक्र मैदान के पास के शौचालय में एक बम प्लांट करने की जानकारी दी थी, जिसे लगभग नौ माह बाद शौचालय से बरामद किया गया था। बम शौचालय के फ्लस में रखा था। बम को बरामद कर निरंजना नदी में निष्क्रिय किया गया था।
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आतंकियों की रेकी
से पुलिस अनभिज्ञ
वर्ष 2013 की घटना के बाद विश्वदाय धरोहर महाबोधि मंदिर की सुरक्षा कड़ी कर दी गई। मंदिर के अंदर बैग, मोबाइल, हथियार सहित अन्य सामान लेकर जाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया। चप्पे-चप्पे पर बीएमपी के जवानों की तैनाती कर दी गई। बावजूद इसके आतंकियों ने जनवरी 2018 में लाल पैडस्टल पर बम प्लांट किया था। सोमवार को पटना रेलवे स्टेशन से गिरफ्तार बांग्लादेशी आतंकी खैरुल मंडल व अबु सुल्तान 11 दिनों तक बोधगया में रहकर महाबोधि मंदिर सहित अन्य बौद्ध मोनास्ट्री की रेकी की थी, लेकिन इसकी भनक सुरक्षाकर्मियों को नहीं लगी। बोधगया में रहकर रेकी करने की बात गिरफ्तार आतंकियों ने बिहार एटीएस की टीम के समक्ष स्वीकार की है।