पूर्व मुख्यमंत्री जीतन की जीत ने बढ़ा दिया हम का कद, अब जिले की राजनीति में होने लगी है पूछ
बिहार की राजनीति में पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा ने अपना कद बड़ा कर लिया है। परिवार के तीन सदस्य इस बार विधानसभा पहुंचे हैं। इसमें एक ने मंत्री पद को भी सुशोभित किया है।
जेएनएन, गया। जिले के खिजरसराय प्रखंड का महकार गांव वैसे तो लंबे समय से अपनी किस्मत पर गर्व कर रहा है। इस गांव की गलियों में खेलने वाले जीतन ने मुख्यमंत्री तक की कुर्सी को सुशोभित किया। इस बार भी चार सीटें जीतकर अपनी शानदार उपस्थिति दर्ज कराई है। लेकिन इस बार गया में हम की हैट्रिक से सबको अचंभित कर दिया। अब तो गया जिला छोडिए, पूरे प्रदेश की में जीतन राम मांझी की राजनीतिक सूझबूझ की तारीफ़ की जा.रही है।
हो भी क्यों नहीं। नक्सलियों की मांद में राजद को शिकस्त दी। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी को लगातार दूसरी बार पटखनी दे दी। यह मांझी के सामाजिक गठजोड को दर्शाता है। उधर, बाराचट्टी से समधन ज्योति देवी ने राजद की समता को हरा दिया। कभी समता देवी राजद के पुराने ताल्लुकात से विधायक बनी थी। समता की मां भगवती देवी सांसद रह चुकी थीं। भाई विजय मांझी वर्तमान में जदयू के सासंद हैं। यानी राजनीति समता के इर्द गिर्द घूमती रही। इनके बीच से ज्योति ने जीत की ज्योत जला दी।
बात टिकारी विधानसभा की करें तो हम के प्रत्याशी डाॅ. अनिल कुमार की जीत कोई अंचभित करने वाली नहीं रही। हालांकि जीत का अंतर कम आया, यह जरूर लोगों को चकित कर गया। स्वाभाविक है कि हम की कडाही में राजनीति का छोंका ऐसा लगा कि विधान पार्षद पुत्र संतोष सुमन मंत्री बन गए। आज की संजीदा राजनीति में समधी- समधन और दामाद विधानसभा पहुंच गए हैं।
अब इतना तो, मांझी परिवार का दावा बनता है कि उनके घर के लोग गया की आवाज़ के रूप में प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। इसी सोच के तहत मंत्री संतोष सुमन ने अपने पिता के कार्य क्षेत्र ईमामगंज में अपना पहला कदम रखा। जहां उनका शानदर वेलकम हुआ। कुल मिलाकर इस विधानसभा चुनाव ने बिहार की राजनीति में कई नए खिलाडि़यों का स्वागत किया तो कई पुराने दिग्गज परिदृश्य से बाहर होने की स्थिति में पहुंच गए हैं।