आज़ादी के बाद पहली बार नक्सलियों के गढ़ पचरुखी में शान से लहराया तिरंगा झंडा
गया के अतिनक्सल प्रभावित क्षेत्र पचरुखिया में 205 कोबरा के जवानों ने स्वतंत्रता दिवस पर अद्भुत ध्वजारोहण किया है। पिछले 1 वर्ष से केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल की बटालियन के जवानों और अधिकारियों आजादी के जश्न को यादगार बनाया। नक्सलियों के गढ़ पचरुखी में शान से तिरंगा झंडा फहराया है।
गया जागरण, संवाददाताः गया जिले के अति नक्सल प्रभावित क्षेत्र पचरुखिया में 205 कोबरा के जवानों ने स्वतंत्रता दिवस पर अद्भुत ध्वजारोहण किया है। पिछले 1 वर्ष से जहां पूरा देश आजादी के अमृत महोत्सव की तैयारियों में लगा हुआ था। वहीं, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल की 205 कोबरा बटालियन के जवानों और अधिकारियों इस आजादी के जश्न को यादगार बनाया। आजादी को और ज्यादा सार्थक बनाने के प्रयास में पूर्ण समर्थन के साथ जुड़े हुए थे। बिहार के औरंगाबाद जिले के मदनपुर प्रखंड से महज कुछ मील की दूरी पर पचरुखिया गांव अवस्थित है, जो कुछ समय पहले तक नक्सलियों के अवेध किला के तौर पर जाना जाता था।
अनगिनत बारूदी सुरंगे बिछाकर रखते थे नक्सली
पचरुखिया गांव तथा आसपास के इलाकों व जंगलों में नक्सलियों के अनगिनत बारूदी सुरंगे बिछाकर अपने लिए एक सुरक्षित और समानांतर व्यवस्था का निर्माण कर लिया था। जहां पहुंचना सुरक्षाबलों के लिए किसी आग के दरिया के लांघ ने से कम नहीं था। खौफ का मंजर कुछ यूं था कि ग्रामीण तक अपना घर वार छोड़ कर यहां से पलायन करने को विवश हो गए थे।
पिछले 1 वर्ष के दौरान अथक परिश्रम अटूट प्रतिबद्धता और अद्भुत त्याग का परिचय देते हुए 205 कोबरा के जवानों ने ना सिर्फ पूरे इलाके को नक्सलियों के आतंक से मुक्त किया, बल्कि विकास और प्रगति की नई बहार लाने में प्रमुख सर्वोच्च प्रमुख और सर्वोपरि भूमिका निभाई और इसके प्रमाण के तौर पर पिछले 75 साल में पहली बार पचरुखिया के आकाश में उन्मुक्त हुआ। हमारा राष्ट्रीय ध्वज है जो 205 कोबरा के अधिकतम शौर्य का प्रतीक के तौर पर सही मायनों में आजादी के अमृत महोत्सव को सार्थक और संपूर्ण स्वरूप प्रदान करता है।
205 के बहादुर कमांडोज ने अपने जान की बाज़ी लगा दी
यह जानना जरूरी है कि औरंगाबाद और गया जिले की सीमा पर अवस्थित छकरबंधा का जंगल नक्सलियों के ऊर्जा साम्राज्य का पर्याय बन चुका था। और पिछले एक दशक से 205 कोबरा, अन्य सुरक्षा बलों और जिला पुलिस के साथ मिलकर लगातार अभियान चला रही थी। इसी क्रम में 205 के बहादुर कमांडोज ने अपने जान की बाज़ी लगा दी। अपने कदम पीछे नहीं हटाए। पिछले वर्षो चार निर्दोष ग्रामीणों की हत्या के बाद 205 कोबरा के जवानों ने हमेशा हमेशा के लिए आतंकियों के आतंक से मुक्त कराने में जुट गई। इसमें 45 बटालियन तथा 159 सीआरपीएफ का अभिन्न योगदान रहा तथा जिला पुलिस और प्रशासन में भी पूरा सहयोग किया। नतीजे तौर पर 205 को बढ़ाने वाले नक्सल गढ़ में लगातार अभियान चलाकर कब्जे में लिया।
कोबरा के पराक्रमी जवान कैंप बनाकर चला रहे अभियान
उसके बाद पचरुखिया और आसपास के इलाके में मौजूद नक्सलियों के साम्राज्य को ध्वस्त कर दिया। आज लंगूराही में सीआरपीएफ का कैंप है जिसकी वजह से ग्रामीण अमन और सुकून के साथ जीवन बसर कर पा रहे हैं। पचरुखिया में खुद 205 कोबरा के पराक्रमी जवान कैंप बनाकर बैठे हैं और लगातार अभियान चलाकर पूरे नागरिक एवं ग्रामीणों के चलने फिरने के लिए पूरी तरह सुरक्षित रहें।
आजादी के 75 वर्ष के बाद बिजली आ सकी
स्वतंत्रता दिवस की 75 वीं वर्षगांठ के मौके पर पचरुखिया गांव में 205 कोबरा के उप कमांडेंट दीपक पटवाल ने पूरी फौजी साम्राज्य के साथ तिरंगा फहराया और राष्ट्रीय ध्वज को सलामी दी। उन्होंने बताया कि पिछले महीने पचरुखिया गांव में आजादी के 75 वर्ष के बाद बिजली आ सकी। यह सिर्फ कोबरा की वीरता और कुर्बानियों और जिला प्रशासन के सहयोग से संभव हो पाया है। कोबरा और सीआरपीएफ के अथक प्रयासों और जिला प्रशासन के सहयोग से रास्ता तैयार हो जाने के कारण पचरुखिया गांव तक पहुंचना सुगम हो गया है।
छकरबंधा के रास्ते मदनपुर प्रखंड को डुमरिया प्रखंड से जोड़ा जा सकता है
निकट भविष्य में पचरुखिया और छकरबंधा के रास्ते मदनपुर प्रखंड को डुमरिया प्रखंड से जोड़ा जाना संभव प्रतीत होता है। इससे आम ग्रामीण को आवागमन में काफी समय और धन की बचत होगी। उन्होंने सभी को आजादी के अमृत महोत्सव की शुभकामना दी और विश्वास जताया कि जल्द ही पलायन कर गए ग्रामीण वापस अपने घर लौटेंगे। पूरा इलाका समृद्धि और प्रगति की रोशनी से जगमग आएगा। ध्वजारोहण के इस गौरवमई कार्यक्रम के दौरान मौके पर सहायक कमांडेंट सुभाष यादव, इंस्पेक्टर अनिल दीपक, सब इंस्पेक्टर चंद्रमणि सहित 205 कोबरा के डेल्टा कंपनी के जांबाज कमांडोज मौजूद थे।