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क्वारंटाइन के लिए मां के मन से बेटे को भी अलग करने की जुगत शुरू

-परदेस से घर लौट रहे प्रवासियों के क्वारंटाइन में रहने या न रहने को लेकर हो रहे झगड़े -व्यक्तिगत संसाधनों से घर पहुंच चुके प्रवासियों में घर-आंगन के विवाद की सुगबुगाहट शुरू -गांवों में मुखिया व सरपंच कर रहे सबकी निगहबानी किसी विवाद से पहले समझौते को तैयार ----------- जागरण संवाददाता गया

By JagranEdited By: Published: Thu, 28 May 2020 04:54 PM (IST)Updated: Thu, 28 May 2020 04:54 PM (IST)
क्वारंटाइन के लिए मां के मन से बेटे को भी अलग करने की जुगत शुरू
क्वारंटाइन के लिए मां के मन से बेटे को भी अलग करने की जुगत शुरू

गया । शांति देवी का मन अभी अशांत चल रहा है। पिछले सप्ताह पड़ोसियों ने हंगामा व मारपीट की तो वह थाने पहुंच गई। पड़ोसियों को एतराज इस बात का था कि शांति का बेटा परदेस से गांव आया तो उसे ही क्यों क्वारंटाइन सेंटर भेजा गया? जब वह घर गया था तो स्वजनों को भी क्वारंटाइन किया जाना था। शांति को इसी का मलाल है कि पड़ोसियों ने उसके बेटे को भी अलग करने की कोशिश की और उसके साथ मारपीट की। जिले के परैया थाना क्षेत्र के राजपुर गांव की यह घटना ने अभी प्राथमिकी का रूप नहीं लिया है, पर शिकायत दर्ज है।

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पड़ोसियों के एतराज के कारण ही परदेस से लौटे प्रवासियों को लेकर अब गांवों में धीरे-धीरे विवाद शुरू होने की सुगबुगाहट है। हालांकि अभी कोई ऐसा मामला पंचायत या थाने तक तो नहीं पहुंचा, लेकिन अनहोनी को लेकर ज्यादातर ग्रामीण संशकित हैं। गया जिले में चार मई से श्रमिक स्पेशल ट्रेनों से प्रवासियों का आना प्रारंभ हुआ है। बुधवार तक 42 श्रमिक स्पेशल ट्रेनें गया आ चुकी थीं। उनसे कई हजार प्रवासी गांवों में पहुंच चुके हैं। फिलवक्त सभी को प्रखंड व पंचायत स्तर पर क्वारंटाइन किया गया है। उन्हें गांव में जाने की मनाही है, लेकिन शुरू में जो व्यक्तिगत साधन से आए हैं, वे गांव पहुंच चुके हैं या आ रहे हैं।

मोहनपुर प्रखंड की सिरियावां पंचायत के सरपंच प्रतिनिधि रामखेलावन पासवान बताते हैं, उनकी पंचायत के 12 लोग क्वारंटाइन से मुक्त हो गए हैं। वे लोग अभी अपने घरों में परिवार के साथ हैं। इसी प्रखंड की बगुला पंचायत के सरपंच मो. नसीम कहते हैं, धीरे-धीरे गांव में लोग आने लगे हैं। अभी किसी तरह का विवाद अपनों के बीच नहीं है। बेलागंज प्रखंड के सरपंच संघ के अध्यक्ष पंकज कुमार भी गांव में परदेसियों के आने का स्वागत करते हैं। कहते हैं, किसी तरह का विवाद उत्पन्न न हो, ऐसी कोशिश की जाएगी। अपनी भावी राजनीति पर भी नजरें टिकाए हैं मुखिया व सरपंच :

जिले के 24 प्रखंडों में पंचायत स्तर पर बने 728 क्वारंटाइन सेंटरों में प्रवासियों से परिवार वाले फिलहाल नहीं मिल रहे हैं, लेकिन मुखिया व सरपंच के माध्यम से घर-परिवार का हाल-चाल ले रहे हैं। वैसी स्थिति में मुखिया व सरपंच अपनी भावी राजनीति को देखते हुए भी कुछ बताने से हिचकिचाते हैं, पर इतना तो माना जाता है कि अचानक घर की देहरी में प्रवासियों के प्रवेश पर कुछ दिनों की खुशी भले हो, लेकिन यह ज्यादा दिनों तक नहीं टिक सकेगी। घर के हिस्से में आवासन से लेकर खेत-बारी के विवाद जरूर सामने आएंगे। आज घर लौटा प्रवासी कल अपने ही आंगन में विवादों की दीवार खड़ा करेंगे। हालांकि इसके लिए दोषी सिर्फ प्रवासी ही नहीं, उसके स्वजन भी होंगे।


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