अनुसंधान और अविष्कार पर ध्यान दें शिक्षक व शोधार्थी
गया । बिहार प्राचीन काल से ही शिक्षा के महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में ख्यात रहा है। यहां का इतिहास अत
गया । बिहार प्राचीन काल से ही शिक्षा के महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में ख्यात रहा है। यहां का इतिहास अत्यंत गौरवशाली रहा है। शिक्षा के साथ-साथ औषधि एवं औषधीय उपचार में इस क्षेत्र का वर्णन पौराणिक शास्त्रों में मिलता है।
उक्त बातें दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलाधिपति सह पूर्व केंद्रीय मंत्री पद्यश्री डॉ. सीपी ठाकुर ने विवि के सभागार में सोमवार को स्वागत समारोह में कहीं। इसके पहले कुलाधिपति का स्वागत कुलपति प्रो. हरिशचन्द्र सिंह राठौर ने अंग वस्त्र व पुष्पगुच्छ देकर किया। विवि के छात्र-छात्राओं ने कुलगीत गायन किया।
कुलाधिपति डॉ. ठाकुर ने कहा कि इस क्षेत्र के कई विद्वान वैज्ञानिक व चिकित्सकों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने शोध तथा खोज से ख्याति प्राप्त की है। केंद्रीय विश्वविद्यालय एवं संबंधित संस्थानों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों, शोधार्थियों व पढ़ाने वाले प्राध्यापकों में यह क्षमता है कि वे विभिन्न विषयों में अनुसंधान कर नए-नए अविष्कार कर सकते हैं। इस क्रम में उन्होंने अपने जीवन के विभिन्न पहलुओं और अनुभवों को साझा किया। उन्होंने कालाजार जैसी घातक बीमारी के इलाज को ढूंढ़ने में किए गए प्रयासों और मिली सफलता को बताते हुए आज के परिपेक्ष्य में उसकी उपयोगिता को भी बताया।
स्वागत भाषण में कुलपति प्रो. राठौर ने उनके आगमन पर विवि परिवार की ओर से आभार व्यक्त किया। उन्होंने कुलाधिपति डॉ. ठाकुर के ऊर्जस्वी व्यक्तित्व और उनके राजनीतिक जीवन के अंशों के साथ अकादमिक, सामाजिक एवं चिकित्सकीय क्षेत्रों की उपलब्धियों को बताया। उन्होंने कहा कि डॉ. ठाकुर का कुलाधिपति के रूप में विवि से जुड़ना बड़े ही सौभाग्य की बात है। इस अवसर पर कुलपति ने कुलाधिपति के समक्ष विवि के उपलब्धियों यथा भवन निर्माण के साथ-साथ एनआइआरएफ रैकिंग, नैक से प्राप्त ग्रेड ए, सीबीसीएस प्रणाली को लागू करने, कुशल शिक्षकों की टीम, आधुनिक उपकरणों से लैस प्रयोगशालाओं को बताया। उन्होंने आशा व्यक्त किया कि कुलाधिपति के कुशल नेतृत्व व मार्गदर्शन में सीयूएसबी नई ऊंचाइयों को प्राप्त करेगा। इस अवसर पर सीयूएसबी के कार्यकारिणी परिषद् के सदस्य एवं मगध विश्वविद्यालय के पूर्व प्राध्यापक प्रो. ललन सिंह ने भी अपने विचार रखे। मंच संचालन और धन्यवाद ज्ञापन कुलसचिव प्रो. प्रभात कुमार सिंह ने किया। कार्यक्रम में वित्त पदाधिकारी गिरीश रंजन सहित संकायाध्यक्ष, अधिकारी, प्राध्यापक व कर्मी मौजूद थे।