माता सीता के शाप से मुक्त हुई फल्गु; अब नहीं कहलाएगी 'सूखी नदी', सालोंभर लबालब रहेगा पानी, जानें कैसे...
हिंदु मान्यता के अनुसार माता सीता के शाप के कारण गया की फल्गु नदी सूख गई। ऊपर की मिट्टी और बालू हटाने के बाद पानी आ जाता है। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। फल्गु भी दूसरी नदियां की तरह पानी से लबालब रहेगी।
जागरण संवाददाता, गया। गया एक ऐतिहासिक एवं धार्मिक शहर है। यहां काफी संख्या में तीर्थयात्री अपने पितरों के मोक्ष की कामना को लेकर आते हैं। शहर में सालोंभर देश-विदेश से तीर्थयात्री आते रहते हैं। पितृपक्ष के दौरान पितरों को मोक्ष लेकर मोक्षदायिनी फल्गु के पवित्र जल में स्नान एवं तर्पण करते है। हिंदु धर्म की मान्यता के अनुसार, माता सीता ने फल्गु को शाप दिया था, जिस वजह से इस नदी में पानी नहीं रहता। लेकिन, अब राज्य सरकार की पहल से फल्गु शापित नहीं रहेगी। देवघाट के पास नदी में रबर डैब का निर्माण कर रहा है। इसके बाद फल्गु नदी में सालोंभर पानी रहेगी। साथ ही शहर में जलसंकट भी दूर होगा। रबर डैम का निर्माण जल संसाधन विभाग करा रहा है। 266 करोड़ रुपये बनने वाला डैम अक्टूबर 2023 तक तैयार हो जाएगा।
राज्य में बनेगा पहला रबर डैम
राज्य में पहली बार फल्गु नदी में रबर डैम का निर्माण किया जाएगा। इसमें सात पिलर होंगे। एक से दूसरे पाया की दूरी 65 मीटर होगी। प्रत्येक पाया के बीच में 65 मीटर का गुब्बारे लगा होगा। नदी में तीन मीटर तक पानी आने पर गुब्बारे से रोका जाएगा। अधिक पानी आने पर गुब्बारे का हवा कम कर नीचे की ओर पानी का बहाव तेज करेगा, जिससे डैम भी सुरक्षित रह सकेगा।
411 मीटर लंबा होगा डैम
डैम की लंबाई 411 मीटर होगी। नदी के दोनों किनारों की ढलाई की जाएगी, जबकि पाया की गहराई 24 से 28 मीटर होगा। डैम पर प्रतिदिन 2500 घन मीटर पानी रहेगा। डैम की चौड़ाई तीन मीटर होगी। पाथ-वे का निर्माण किया जाएगा। इससे तीर्थयात्री आसानी से सीताकुंड पिंडवेदी तक पहुंच सकेंगे।
आइटीआइ के पास होगा बोरवेल
शहर के आइटीआइ के पास नदी में पांच बोरवेल लगाए जाएंगे। उसमें 15-15 एचपी के मोटर लगेंगे। नदी का जलस्तर घटने पर बोरवेल से पानी दिया जाएगा। इसके कारण देवघाट से लेकर आइटीआइ तक नदी में दो फीट पानी सालोंभर रहेगा। इससे तर्पण के साथ शहर में जलस्तर भी बरकरार रहेगा।
मुख्य अभियंता ने दी जानकारी
जल संसाधन विभाग के मुख्य अभियंता अजय नारायण ने बताया कि फल्गु नदी में रबर डैम का निर्माण होने से देवघाट के पास हमेशा पानी रहेगा। जिससे पिंडदानियों को तर्पण करने में आसानी होगी। गर्मी में भी नदी में पानी की कमी नहीं होगी। क्योंकि रबर डैम के निर्माण के अलावा बिथो वियर बांध का भी निर्माण कार्य जल्द शुरू होने जा रहा है।