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नहर के पक्कीकरण व उड़ाही में नष्ट हो गए हरे भरे हजारों वृक्ष

प्रखंड क्षेत्र से गुजरने वाली सोन नहर का पक्कीकरण करने हेतु उड़ाही करने में नहर के तटबध ।

By JagranEdited By: Published: Fri, 20 Jul 2018 07:18 PM (IST)Updated: Fri, 20 Jul 2018 07:18 PM (IST)
नहर के पक्कीकरण व उड़ाही में नष्ट हो गए हरे भरे हजारों वृक्ष
नहर के पक्कीकरण व उड़ाही में नष्ट हो गए हरे भरे हजारों वृक्ष

गया। प्रखंड क्षेत्र से गुजरने वाली सोन नहर का पक्कीकरण करने हेतु उड़ाही करने में नहर के तटबंध और सड़क किनारे लगे पेड़ और जंगल को काट कर पूरी तरह नष्ट कर दिया गया। प्राकृतिक वन संपदा को नष्ट करते समय किसी अधिकारी की नींद नहीं खुली। अब जब मामला तूल पकड़ने को है तो अधिकारी कागजी खानापूर्ति कर अपना अपना पल्ला झाड़ने में लगे हैं। नहर उड़ाही और निर्माण के नाम पर क्षेत्र के कई जगहों पर करोड़ रुपये के हरे पेड़ों को नष्ट कर दिया गया। अधिकारियों ने मामले की जाच तो की, लेकिन इन हरे पेड़ का कातिल कौन है। इस सवाल का जवाब किसी अधिकारी के पास नहीं है। जबकि पेड़ काटे जाने के आरोप में प्राथमिकी का भी आदेश दिया जा चुका है।

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मनरेगा के तहत लगे पेड़ भी नहीं रहे

पंचायत प्रतिनिधियों और ग्रामीणों की माने तो नारायण बिगहा, रकसिया, बाजितपुर, रेबई, लोदीपुर, डीहुरा आदि कई गांव और इसके आसपास नहर पर लगे हरे वृक्ष को काट दिया गया। मनरेगा योजना से करोड़ों की लागत से लगाए गए हजारों हजार हरे घने वृक्ष को पूरी तरह साफ कर दिया गया। कल तक नहर किनारे घना वृक्ष नजर आता था। आज सपाट मैदान दिख रहा है। मउ पंचायत एवं डीहुरा पंचायत के रतनी-वितरणी नहर के पश्चिम भाग पर करीब ढाई किमी तक नहर के तट पर फैला घने वृक्ष को सिंचाई विभाग और उसके संवेदक की भेंट चढ़ गया। इससे ग्रामीणों में जनाक्रोश पनप रहा है।

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लगाए गए हजारों पेड़ नष्ट कर दिए गए

आमाकुआं पंचायत के बाजितपुर, बेनीपुर नहर के दोनों किनारों पर वित्तीय वर्ष 2012-13 में चौदह हजार पेड़ लगाए गए थे। जिसमें से पांच हजार पेड़ संरक्षित रहकर घने वृक्ष का रूप ले चुकाथा। मउ पंचायत के गुजरने वाली रतनी वितरणी नहर के किनारे दस हजार हरे पेड़, डीहुरा पंचायत के रेवई मोड़ के समीप से गुजरने वाली रतनी वितरणी नहर के किनारे लगभग सात हजार पेड़ लगाए गए थे। सभी नहर उड़ाही में नहर निर्माण कंपनी द्वारा कार्य के दौरान नष्ट कर दिया गया।

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शिकायत पर सुध लेना मुनासिब नहीं समझा

इतनी अधिक संख्या में अलग अलग क्षेत्रों में पेड़ काटे जाने को लेकर संबंधित विभाग में कई बार शिकायत की गई परंतु किसी ने इसकी सुध लेना मुनासिब नहीं समझा। हरा भरा दिखने वाला क्षेत्र पूरी तरह से वीरान हो चुका है। प्रकृति और वन संपदा के साथ किए गए ऐसे खिलवाड़ के कारण ग्रामीण आक्रोशित हैं। मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। ताकि दोषियों के खिलाफ कार्रवाई हो सके।

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फाइल ही बंद कर दी गई

प्रकृति के साथ इतने बड़े पैमाने पर हुए छेड़छाड़ एक दो माह बीत जाने के बावजूद संबंधित कार्यालयों में कार्रवाई की अनुशसा एवं आदेश कागजों पर देकर फाइल को लगभग बंद कर दिया गया। मामले की जाच के नाम पर केवल एक दूसरे को दोषी ठहराकर जिम्मेदारी से इतिश्री कर ली है। एसडीएम टिकारी ने पेड़ कटाई की सूचना मिलते ही संवेदक और विभाग के विरुद्ध प्रथमिकी दर्ज करने का आदेश अधीनस्थ अधिकारियों को दिया था। लेकिन सभी मामले को व्यस्तता के नाम पर टालते रहे।

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कहते हैं अधिकारी

जिसने पौधे लगाए थे, उसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी उनकी बनती थी। मेरे विभाग की तरफ से कोई वृक्ष नहीं काटा गया है। स्थानीय ग्रामीण वृक्ष काट-काट कर ले जा रहे हैं।

रवि शकर, कार्यपालक अभियंता, सोन उच्चस्तरीय नहर, कार्य प्रमंडल, कुर्था


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