Aurangabad: नामांकन को हो गए दो वर्ष लेकिन, अब तक पहले सेमेस्टर की परीक्षा भी नहीं हुई
मगध विश्वविद्यालय एवं सच्चिदानंद सिन्हा महाविद्यालय प्रशासन की लापरवाही का नतीजा छात्रों को भुगतना पड़ रहा है। न छात्रों की परीक्षा हो रही है और न ही समय पर परिणाम जारी किया जा रहा है। हजारों छात्रों का भविष्य अंधकारमय हो गया है।
औरंगाबाद, जागरण संवाददाता। मगध विश्वविद्यालय (Magadh University) एवं सच्चिदानंद सिन्हा महाविद्यालय (Sachchidanand Sinha College) प्रशासन की लापरवाही का नतीजा छात्रों को भुगतना पड़ रहा है। न छात्रों की परीक्षा हो रही है और न ही समय पर परिणाम जारी किया जा रहा है। इस कारण हजारों छात्रों का भविष्य अंधकारमय हो गया है। महाविद्यालय में संचालित एमबीए विभाग के छात्रों को भविष्य बर्बादी के कगार पर आ गया है।
इसी वर्ष पूर्ण होना था एमबीए कोर्स
छात्रों ने वर्ष 2019 में एमबीए में नामांकन (Admission in MBA) लिया था। 2021 में कोर्स पूरा हो जाना था। यह चार सेमेस्टर का कोर्स है परंतु अभी तक एक सेमेस्टर की भी परीक्षा नहीं हो सकी है। यहां तक कि अभी तक परीक्षा फॉर्म भी नहीं भरा गया है। इससे साफ स्पष्ट है कि विश्वविद्यालय व महाविद्यालय प्रशासन छात्रों के भविष्य के प्रति किस कदर उदासीन बना है। अगर यही स्थिति रही तो दो वर्ष का कोर्स चार वर्ष में भी पूरा नहीं हो सकेगा।
अभी तो पहले सेमेस्टर की परीक्षा भी नहीं हुई
छात्रा गाजिया रिफत ने बताया कि 2019 में नामांकन ली परंतु अभी तक प्रथम सेमेस्टर की परीक्षा नहीं हुई है। समय की बर्बादी हो रही है। लेकिन इसको कोई देखने वाला नहीं है। न तो महाविद्यालय सुन रहा और न ही यूनिवर्सिटी। इधर ममता कुमारी ने बताया कि सत्र में देरी होने का खामियाजा हम सभी को भुगतना पड़ेगा। प्लेसमेंट में काफी परेशानी होगी। यह सब देखते हुए भी कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है।
पैरों पर खड़ा क्या होंगे अभी तक बोझ बने हैं
एक छात्र अभिषेक आनंद ने कहा कि दो वर्ष बर्बाद हो जाने के कारण अब तक नौकरी नहीं मिल पाई है। मां- पापा का सहारा भी नहीं बन पाए। अभिभावक यही सोच कर पढ़ाए थे कि मैं एक दिन अपने पैरों पर खड़ा हो जाउं लेकिन अभी भी एक घर के बोझ बन कर बैठा हूं। वहीं अभिरंजन कुमार ने बताया कि एमबीए के इस सत्र में नामांकित छात्र परीक्षा फॉर्म भरने एवं परीक्षा लेने के लिए कई बार प्राचार्य को बताया गया परंतु कोई सुनवाई नहीं कि गई। छात्र की परेशानियों को प्राचार्य समाधान नहीं करते हैं।