अमले और संसाधन अपार, फिर भी स्वच्छ शहर का सपना नहीं हो रहा साकार
पेज - फोटो 802 803 एवं 804 -सफाई के लिए खरीदी गई लाखों की मशीनें विवाद में फंसकर वर्षो से फांक रही धूल ---------- लापरवाही -मशीन होने के बाद भी नहीं बनाई जा रही गीले कचरे से जैविक खाद -मशीन के बजाय मशीन से होती है सड़कों की सफाई --------- -06 माह पूर्व 50 लाख रुपये में खरीदी गई थीं खाद बनाने वाली मशीनें -2017 में नाले की सफाई के लिए खरीदी गई थी सुपर शकर मशीन ----------- जागरण संवाददाता गया
गया । शहर के विस्तार के साथ अब आधुनिक संसाधनों की पर्याप्त उपलब्धता है। सफाई कर्मचारियों की भी अच्छी खासी फौज है। बावजूद इसके शहर में साफ-सफाई व कचरा निस्तारण की उचित व्यवस्था नहीं है। शहर में जगह-जगह गंदगी फैली रहती है। सफाई के लिए लाखों की मशीनें भी खरीदी गई, लेकिन विवाद और पदाधिकारियों की लापरवाही के कारण वर्षो से धूल फांक रही है। परिणाम, स्वच्छ और सुंदर शहर का सपना साकार नहीं हो रहा है।
सरकार के निर्देशानुसार, स्वच्छ भारत मिशन योजना तभी सफल होगा जब गीले कचरे से जैविक खाद बनाई जाए। इसको लेकर नगर निगम ने पांच मशीनों की खरीदारी कर रखी है। फिर भी मशीन से जैविक खाद तैयार नहीं हो रहे।
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बंद पड़ी है जैविक खाद
बनाने वाली मशीन
नगर निगम जैविक खाद बनाने को लेकर पांच मशीन खरीद रखी है। इनमें से तीन मशीन विष्णुपद और दो अक्षयवट में लगी हैं। पितृपक्ष में कुछ दिन मशीन चली। उसके बाद मशीन बंद पड़ी है। अक्षयवट में लगी मशीन अभी तक चली भी नहीं है। छह माह पूर्व मशीन की खरीदारी 50 लाख रुपये से की गई थी।
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तो नहीं मिलेंगे नौ करोड़ रुपये
स्वच्छ भारत मिशन योजना के तहत नगर निगम को प्रत्येक वर्ष नौ करोड़ रुपये मिलते हैं। लेकिन निगम कार्यो में कोताही बरत रहा है। योजना के तहत कार्य नहंी हुए तो सरकार राशि देना बंद कर सकती है।
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दो वर्षो से बंद पड़ी है
सुपर शकर मशीन
नाले की सफाई को लेकर नगर निगम 2017 में सुपर शकर मशीन की खरीदारी की थी। विवाद के कारण मशीन दो वर्षो से धूल फांक रही है। अगर मशीन चलती तो शहर में नाले की सफाई अधूरी नहीं होती। काफी कम राशि में नाले की सफाई पूरी तरह से हो सकती था। सरकारी निर्देश के बाद भी मशीन को चालू नहीं की गई है। 1.98 करोड़ रुपये की लागत से खरीदी गई मशीन धूल फांक रही है।
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सिर्फ चिह्नित मार्गो पर
ही मशीन से सफाई
शहर में सड़कों की सफाई को लेकर नगर निगम ने करीब दो करोड़ की राशि से स्वीपर मशीन की खरीदारी की थी। इससे महज दो-चार चिह्नित मार्गो की सफाई हो रही है। शेष मार्गो की सफाई मजदूरों द्वारा किया जा रहा है। सभी मार्गो की सफाई मशीन से होती तो निगम की काफी राशि बच जाती।
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जैविक खाद बनाने के लिए मशीन को पर्याप्त मात्रा में बिजली नहीं मिल रही है। इसके कारण पांचों मशीन बंद पड़ी है। वहीं, सुपर शकर मशीन विवाद होने के कारण दो वर्षो से बंद पड़ी है। मशीन को चालू करने के लिए जिलाधिकारी से मार्गदर्शन करने की मांग की गई है। उनके मार्गदर्शन के बाद मशीन चालू कर दी जाएगी।
अजय कुमार, उप नगर आयुक्त सह सफाई पदाधिकारी
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अगर जैविक खाद बनाने वाले मशीन बंद है तो संज्ञान में लिया जाएगा। जल्द ही मशीन को चालू किया जाएगा। रोड स्वीपर मशीन की खरीदारी सिर्फ मुख्य मार्गो की सफाई के लिए की गई है। सुपर शकर मशीन को जांच के लिए एक कमेटी का गठन किया गया है। कमेटी जो निर्णय लेगी उसके अनुसार कार्य किया जाएगा।
वीरेंद्र कुमार, मेयर