Move to Jagran APP

छह महीने में दोगुनी होगी कमाई, हाईप्रोफाइल जॉब छोड़कर गांव लौटे रोहतास के पंकज सिखा रहे गुर

रोहतास के पंकज कुमार एमबीए की डिग्री लेने के बाद एनएचएआई में अच्‍छी-खासी नौकरी कर रहे थे। लेकिन स्‍वरोजगार की ललक उन्‍हें गांव खींच लाई। अब मछलीपालन कर वे अच्‍छी कमाई कर रहे हैं। आसपास के युवाओं को इससे जोड़ रहे हैं।

By Vyas ChandraEdited By: Published: Fri, 09 Apr 2021 09:40 AM (IST)Updated: Sat, 10 Apr 2021 08:04 AM (IST)
छह महीने में दोगुनी होगी कमाई, हाईप्रोफाइल जॉब छोड़कर गांव लौटे रोहतास के पंकज सिखा रहे गुर
अपने तालाब की मछली दिखाते पंकज। जागरण

डेहरी ऑन सोन( रोहतास), संवाद सहयोगी। एमबीए की डिग्री हासिल करने के बाद युवाओं का सपना मल्‍टी नेशनल कंपनियों में हाईप्रोफाइल नौकरी करने का होता है। लेकिन कुछ ऐेसे भी युवा हैं जो कुछ अलग करने की चाहत रखते हैं। ऐसे ही हैं पंकज कुमार। स्‍वरोजगार की ललक में वे अनुमंडल के  कैमूर पहाड़ी के सुदूर इलाकों में मत्स्य पालन कर रहे हैं। करीब दस वर्षों तक अच्छे पद पर नौकरी करने के बाद पंकज की ललक स्‍वरोजगार के प्रति जगी। नौकरी से बेहतर स्वरोजगार को समझ कर शहर की चकाचौंध भरी दुनिया छोड़कर नौहटा प्रखंड के कैमूर पहाड़ी से सटे सियालदह गांव आ गए। यहां मत्स्य पालन का कार्य शुरू किया।

loksabha election banner

छह महीने में लागत से दोगुनी होगी कमाई

पंकज लोगों को समझा रहे हैं कि इस व्‍यवसाय में काफी कमाई होगी। आपकी लागत की रकम से दोगुनी कमाई छह महीने में जरूर हो जाएगी। अगर तीन लाख रुपये पूंजी लगाई जाए तो छह महीने में मत्स्य पालन कर इसे दोगुनी की जा सकती है। गांव और आसपास के युवकों को भी नीली क्रांति से जुड़कर रोजगार सृजन के लिए प्रेरित कर रहे है। जल, जीवन, हरियाली और मनरेगा से तालाब की खुदाई करवाकर मत्स्य पालन का कारोबार शुरू करने में लोगों की मदद भी कर रहे है।

एनएचएआइ के प्रबंधक पद पर थे कार्यरत

सियालदह गांव के पंकज कुमार सिंह रांची यूनिवर्सिटी से बीकॉम करने के पश्चात नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी (National Institute of Information Technology, Varanasi) से प्रोग्रामिंग का कोर्स किया। इसके बाद लर्निंग शिक्षा पद्धति के माध्यम से एमबीए कर यूरेका फॉर्ब्स लिमिटेड मध्यप्रदेश में टेरिटरी मैनेजर के रूप में सात वर्षों तक कार्य किया। इसके बाद एनएचएआइ (National Highway Authority of India) में प्रॉपर्टी मैनेजर के पद पर तीन वर्षों तक कार्य किया। अच्‍छी सैलरी के बावजूद उन्‍होंने नौकरी छोड़ दी और गांव लौट आए। 

तीन तालाब की खुदाई करवा शुरू किया मत्‍स्‍यपालन

उन्होंने  फरवरी 2019 में अपने गांव में खुद के पैसे लगाकर और मनरेगा कार्यक्रम के तहत तीन तालाब की खुदाई करवाई और मत्स्य पालन का कार्य शुरू किया। साथ ही गांव के ही प्रिंस कुमार सिंह, अभिषेक कुमार सिंह समेत कई नवयुवकों को सरकारी और निजी भूमि पर तलाब खुदवा कर मत्स्य पालन के लिए प्रेरित किया। प्रखंड मुख्यालय से पंचायत तक के अधिकारी और जनप्रतिनिधि से मिलकर तालाब खुदवाने का कार्य शुरू कर दिया। ताकि घर में रहकर अधिक से अधिक आय हो सके और अन्य लोगों को भी आय का स्रोत उपलब्ध करा सकें।  पंकज कुमार सिंह बताते हैं कि अभी तीन तालाब में पंगास, रोहू, ठाकुर रूपचंदा, कोमल कार, मांगुर मछलियाें का पालन कर रहे हैं। आगे इसी वित्तीय वर्ष में और 11 तालाब खुदवाने की योजना है। अभी गांव और आसपास के तीन लड़के पवन कुमार सिंह, रिंकू पटेल और रोहित कुमार को इससे रोजगार मिला है। भविष्य में अधिक से अधिक लोगाें को स्‍वरोजगार से जोड़ने की योजना है। 

(मछलीपालन के लिए खोदी गई तालाब।)


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.