सर्दी के मौसम में गरमाता है बोधगया का व्यापार
पर्यटन उद्योग से जुड़े व्यवसायियों में पर्यटकों की सुख-सुविधा या मानसिक क्लांति मिटाने का है।
गया। पर्यटन उद्योग से जुड़े व्यवसायियों में पर्यटकों की सुख-सुविधा या मानसिक क्लांति मिटाने के लिए बहुत सारे मनोरंजन, आकर्षक एवं आध्यात्मिक परिवेश देने की व्यवस्था सरकारी व गैर सरकारी स्तर पर होती रही है। इसके अंतर्गत ऐतिहासिक स्थली बोधगया का शीतकालीन पर्यटन मौसम का भी नाम आता है। पर्यटन मौसम यानि सर्दी का इंतजार छोटे-बड़े स्थानीय से लेकर तिब्बती व्यवसायियों को शिद्दत से रहता है। पर्यटन मौसम में तिब्बती व भूटानी बौद्ध श्रद्धालुओं के विभिन्न पूजा के आयोजन के कारण कुछेक वर्षो में बहुआयामी व्यवसाय पनपे हैं। होटल, गेस्ट हाउस के अलावा खिचड़ी परोस, साग-सब्जी, फुटपाथी फोटो-माला, कपड़े, बैग, बर्त्तन, जूता-चप्पल, तिब्बती व भूटानी बौद्ध श्रद्धालुओं के पूजाओं में इस्तेमाल होने वाले वाद्ययंत्र व फल-फूल बिक्री की अस्थायी दुकानें खुल जाती हैं। पर्यटन के मौसम के दौरान तिब्बती रिफ्यूजी मार्केट व तिब्बतियों के रेस्टोरेंट देशी-विदेशी पर्यटकों के बीच सर्वाधिक आकर्षक का केंद्र होता है। हर वर्ष आयोजित पूजा के कारण मांग के हिसाब से मोमबत्ती व अगरबत्ती का उत्पादन भी स्थानीय स्तर पर कुटीर उद्योग के रूप में होने लगा है।
साल भर फुटपाथ पर दुकान लगाने वाले व्यवसायी ललन साव, धर्मेन्द्र कुमार, मो. शागीर कहते हैं कि पहले जब तिब्बतियों के आध्यात्मिक धर्मगुरु दलाईलामा आते थे तो अच्छी खासी व्यवसाय की उम्मीद जगती थी। लेकिन अब वैसा नहीं है। हां, अन्य पूजा के कारण व्यवसाय फलता-फूलता है। वे कहते हैं कि फुटपाथ पर दुकान लगाने के लिए नगर पंचायत द्वारा तय वार्षिक किराया जमा कर रसीद लेनी होती है। इसी प्रकार रिफ्यूजी मार्केट और रेस्टोरेंट संचालकों को भी नगर पंचायत से रसीद कटवानी होती है। इससे नगर पंचायत को अच्छी खासी राजस्व की प्राप्ति होती है।
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ट्रेवल्स एजेंसी क्षेत्र में प्रतिवर्ष
10 करोड़ का कारोबार
टूर एंड ट्रेवल्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेश सिंह कहते हैं कि पर्यटन मौसम में ट्रेवल्स एजेंसी क्षेत्र में लगभग 10 करोड़ और होटल व गेस्ट हाउस क्षेत्र में 40 से 50 करोड़ का प्रतिवर्ष कारोबार होता है। लेकिन यह वार्षिक कारोबार है। क्योंकि गर्मी के मौसम में होटल, गेस्ट हाउस व ट्रेवल्स क्षेत्र का कारोबार न के बराबर होता है। वे कहते हैं कि बौद्ध मोनास्ट्री का व्यावसायिक प्रतिष्ठानों की भांति संचालन से सबसे ज्यादा प्रभावित होटल, ट्रेवल्स और रेस्टोरेंट व्यवसाय हुआ है।