बिना पढ़े ही दे रहे हैं मैट्रिक की परीक्षा
नीरज कुमार मिश्रा, डोभी वर्ष 1954 में स्थापित मध्य विद्यालय डोभी को 2015 में बिहार सरकार द्वारा
नीरज कुमार मिश्रा, डोभी
वर्ष 1954 में स्थापित मध्य विद्यालय डोभी को 2015 में बिहार सरकार द्वारा उत्क्रमित करके हाई स्कूल का दर्जा दिया गया। बडे़ उत्साह के साथ विद्यालय के नवम वर्ग में 149 बच्चों ने नामाकन करवाया। सपने संजोये। परन्तु सपना धरा का धरा रह गया। एक वर्ष बीत जाने के बाद भी हाईस्कूल के लिए एक भी शिक्षक नहीं आए। वर्तमान में बिना पढ़े ही बच्चे मैट्रिक की परीक्षा दे रहे हैं।
मध्य विद्यालय के प्रभारी सीता भारती के प्रभार में सिर्फ कागज में ही यह विद्यालय उच्च है। उच्च कक्षाओं के लिए न ही भवन का निर्माण हुआ है और न ही फर्नीचर दिया गया है। मध्य विद्यालय के एक भवन के उपर ही नवमी और दसवीं की कक्षाएं लग रही हैं। विभाग द्वारा उच्च विद्यालय के नाम पर सिर्फ विज्ञान किट विद्यालय को उपलब्ध करवाया गया है, जो जंग खा रहा है। पहले से मध्य विद्यालय में शिक्षकों की कमी है। यहां 456 विद्यार्थियों के लिए महज छह शिक्षक हैं।
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शौचालय खस्ताहाल : विद्यालय में चार शौचालयों में से दो खराब है। बच्चों की संख्या अधिक होने के कारण दोनों शौचालय को बालिकाओं के लिए सुरक्षित कर दिया गया है परन्तु बालक वर्ग को इसके लिए बाहर का रुख करना पड़ता है।
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खेल की सामग्री नहीं : विद्यालय में खेल सामग्री नहीं होने से बच्चे मायूस हैं। मध्य विद्यालय और उच्च विद्यालय को एक ही कैंपस में शिफ्ट होने के बाद भी खेल का सामान नहीं है।
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चापाकल की कमी : विद्यालय में दो चापाकल खराब होने से पानी के लिए मध्याह्न भोजन के समय समस्या खड़ी होती है। कई बार तो पानी के लिए बच्चे आपस मे उलझ जाते हैं।
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उच्च विद्यालय में स्थापना से अब तक एक भी शिक्षक की नियुक्ति नहीं हुई। इसके कारण प्रत्येक साल सिर्फ नामाकन लिया जाता है। बिना पढ़ाई के विद्यार्थी मैट्रिक फॉर्म भरते और प्रत्येक साल बच्चे पास भी हो रहे हैं। मध्य विद्यालय और उच्च विद्यालय दोनों का प्रभार होने से परेशानी हो रही है। मध्य विद्यालय में 350 विद्यार्थियों के लिए महज छह शिक्षक हैं।
सीता भारती, प्रभारी प्रध्यानाध्यापक
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विद्यालय में शिक्षकों की काफी कमी है। यहां नाम लिखाकर पछता रहे हैं। प्रतिदिन स्कूल आते हैं और बिना पढ़े घर लोटना पड़ता है। संबंधि विभाग को इस ओर धयान देना चाहिए।
ज्ञानी कुमारी, कक्षा नवमी
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जब शिक्षक ही नहीं हैं तो फिर पढ़ाई में गुणवता कैसे आएगी। मैट्रिक की परीक्षा पास करने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। विज्ञान किट भी शिक्षक के अभाव मे जंग खा रहा है।
-काजल कुमार, कक्षा नवमी
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विद्यालय मे पढाई नही होने के कारण कोचिंग का सहारा लेना पड़ रहा है। इधर विद्यालय में उपस्थिति भी सरकारी नियमानुसार जरूरी है। विद्यालय में हमलोग का समय बेकार चला जाता है। नामंाकन के समय विद्यालय द्वारा आश्वासन दिया गया था कि विद्यालय में शिक्षक आएंगे, लेकिन अभी तक नियुक्ति नहीं हुई है।
खुशबू कुमारी , कक्षा नवमी
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विद्यालय में सुविधाओं का अभाव है। विद्यालय में बिजली की व्यवस्था की जाती है तो चोर तार चोर चोरी कर ले जाते हैं। विभाग को इस ओर ध्यान देना चाहिए। हमलोग भविष्य को लेकर चिंतित हैं।
गोल्डेन कुमार, कक्षा नवम