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नवजात की समस्या को नहीं करें नजरंदाज

फोटो- -जन्म के शुरुआती दिनों में नवजात को बेहतर देखभाल की अधिक जरूरत -21 नवंबर तक चलेगा नवजात देखभाल सप्ताह - जागरण संवाददाता गया

By JagranEdited By: Published: Fri, 15 Nov 2019 08:14 PM (IST)Updated: Fri, 15 Nov 2019 08:14 PM (IST)
नवजात की समस्या को नहीं करें नजरंदाज
नवजात की समस्या को नहीं करें नजरंदाज

गया । बेहतर नवजात स्वास्थ्य स्वस्थ समाज की आधारशिला तैयार करती है। इसको लेकर स्वास्थ्य विभाग जिला से लेकर समुदाय स्तर पर विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से नवजात स्वास्थ्य पर अलख जगा रही है। इसी क्रम में शुक्रवार से नवजात देखभाल सप्ताह की शुरुआत की गई, जो 21 नवंबर तक चलेगा। अभियान के दौरान अधिक से अधिक लोगों को नवजात के लिए जरूरी देखभाल पर जागरुकता बढ़ाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

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देखभाल के लिए जागरूक

करने पर दिया जा रहा बल

राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी बाल स्वास्थ्य डॉ. वीपी राय ने बताया नवजात को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा प्रदान कराने के लिए स्वास्थ्य विभाग निरंतर प्रयासरत है। इस दिशा में नवजात देखभाल सप्ताह का आयोजन एक प्रभावी पहल है। अभी भी समुदाय स्तर पर लोगों में नवजात देखभाल के विषय में समुचित जानकारी का अभाव है। इसे ध्यान में रखते हुए इस सप्ताह के दौरान ग्रामीण स्वास्थ्य, स्वच्छता एवं पोषण दिवस पर महिलाओं को नवजात देखभाल पर जागरूक करने पर बल दिया जा रहा है। इसके लिए सभी क्षेत्रीय कार्यकर्ता, आशा, आगनबाड़ी एवं एएनएम को सप्ताह के दौरान नवजात के देखभाल पर जागरूक करने के दिशा निर्देश दिए गए हैं। अभियान का उद्देश्य है राज्य के सभी नवजात को सरकार द्वारा प्रदान की जाने वाली स्वास्थ्य सुविधाएं एवं सेवाओं का लाभ मिल सकें, ताकि नवजात मृत्यु दर में कमी लाई जा सकें।

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महिलाओं को किया गया जागरूक

शुक्रवार को जिले के सभी आगनबाड़ी केंद्रों पर वीएचएसएनडी का आयोजन किया गया जिसमें आशा,एएनएम एवं आगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की मदद से महिलाओं को नवजात देखभाल के बारे में जानकारी दी गई। केयर इंडिया के जिला तकनीकी पदाधिकारी आउटरीच एंड नियूट्रिशन अमित कुमार ने बताया आशा, एएनएम और आगंनबाड़ी सेविकाओं को घर-घर जाकर मां व परिवार के अन्य लोगों को नवजात शिशु के देखभाल के बारे में कई जरूरी जानकारी जैसे कंगारु मदर केयर, नियमित स्तनपान,साफ -सफाई का ध्यान,नाल पर कोई भी तरह की चीज नही लगाना आदि के बारे में जानकारी देने के लिये कहा गया है।

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इन बातों की जानकारी

मातृ मृत्यु के साथ नवजात मृत्यु दर में कमी लाने के लिए संस्थागत प्रसव को जरूरी बताया गया। जन्म के एक घटे के भीतर शिशु को स्तनपान कराने एवं 6 माह तक केवल स्तनपान कराने पर जोर दिया गया। इसे बच्चे के संपूर्ण मानसिक एवं शारीरिक विकास के लिए जरूरी बताया गया। साथ ही निमोनिया एवं डायरिया जैसे गंभीर रोगों से बचने के लिए स्तनपान को जरुरी बताया गया। शिशु जन्म के तुरंत बाद बच्चे को नहीं नहाने की सलाह दी गई। शिशु जन्म के लगभग 2 दिनों के बाद नहाने से बच्चे को स्वास्थ्य संबंधित समस्याएं नहीं होती है। बच्चा यदि सुस्त हो, ठीक से सांस नहीं ले रहा हो, स्तनपान नहीं कर पा रहा हो या शरीर अधिक गर्म या ठंडा हो तो तब उसे नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में ले जाने की बात बताई गई।


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