भारतीय शिक्षा पद्धति पर चार दिवसीय परिचर्चा शुरू
गया। बोधगया में केंद्रीय विश्वविद्यालय दक्षिण बिहार द्वारा चार दिवसीय परिचर्चा की शुरुआत बोधगया के ए
गया। बोधगया में केंद्रीय विश्वविद्यालय दक्षिण बिहार द्वारा चार दिवसीय परिचर्चा की शुरुआत बोधगया के एक होटल में की गई। यह परिचर्चा मानव संसाधन विकास मंत्रालय की महत्वाकांक्षी स्कीम पंडित मदन मोहन मालवीय नेशनल मिशन ऑन टीचर्स एंड टीचिंग के अंतर्गत विश्वविद्यालय उच्च शिक्षा के संस्थानों के शैक्षिक प्राधिकारियों के लिए लिए आयोजित है। कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य अतिथि यूजीसी के पूर्व अध्यक्ष प्रो. वेद प्रकाश व केंद्रीय विवि के कुलपति प्रो. हरिश चंद्र सिंह राठौर ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया। कार्यक्रम के स्वागत उद्बोधन में समन्वयक प्रो. रेखा अग्रवाल ने सभी प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए कार्यक्रम में उद्देश्यों पर प्रकाश डाले। मुख्य अतिथि प्रो. प्रकाश ने भारतीय शिक्षा व्यवस्था के प्राचीन से लेकर वर्तमान परिदृश्य की चर्चा की। उन्होंने अपने व्याख्यान में कहा कि शिक्षा के बजट में वृद्धि के अनुपात में कमी की जा रही है। शैक्षिक निवेश को घर, समाज और राष्ट्र के परिप्रेक्ष्य में होना चाहिए। तभी व्यक्ति, समाज व राष्ट्र का बहुमुखी विकास किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि शैक्षिक संस्थानों के सशक्तिकरण के बिना शिक्षा की गुणवता में सुधार नहीं किया जा सकता है। अध्यक्षीय भाषण में कुलपति प्रो. राठौर ने कहा कि नेतृत्व को परिस्थितियों के अनुसार आवश्यक परिवर्तन करते रहना चाहिए। तभी उसकी प्रभावशीलता बनी रहेगी। विश्वविद्यालय के कार्यप्रणाली में सुधार हेतु प्रतिभागी निर्णय के साथ कार्य करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि सभी समस्यामूलक पक्षों में एक साथ कभी भी सुधार नहीं किया जा सकता है। राजस्थान केंदगीय विवि राजस्थान के पूर्व कुलपति प्रो. एमएम सालुंखे ने विश्वविद्यालयों में डिजिटलीकरण के लिए अवसर और चुनौतिया: उच्च शिक्षा विषय पर कहा कि विश्वविद्यालयीय परीक्षा प्रणाली में सुधार कर इसे और अधिक वैध एवं विश्वसनीय बनाया जा सकता है। परीक्षा में सुधार इस ध्येय के साथ किया जाना चाहिए कि विद्यार्थी के समग्र विकास का लक्ष्य उसमें हमेशा निहित रहे। कार्यक्रम में सात राज्यों के विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपतियों, प्रतिकुलपतियों, निदेशकों व संकायध्यक्षों की सहभागिता है। कार्यक्रम के पहल दिन का समापन प्रो. कौशल किशोर के धन्यवाद ज्ञापन से हुआ।