बोधगया के पिंडवेदियों पर पिंड कर ब्रह्म क्षेत्र पहुंचे श्रद्धालु
फोटो- 48 49 505253 -पितृपक्ष के तृतीया तिथि को पितरों के लगे जयकारे पिंड को धर्मारण्य वेदी पर बने अष्टकमल आकार के कूप में विसर्जित किया कुछ पिंडदानी अकाल मृत्यु के शिकार परिजनों की आत्मिक शांति के लिए त्रिपिंडी श्राद्ध किए -------------- जागरण संवाददाता बोधगया
गया । मंगलवार को सूर्योदय के साथ ही बोधगया के पिंडवेदियों पर सनातनी पिंडदानी अपने पितरों के मोक्ष की कामना को लेकर पहुंच रहे थे। पिंडदानियों का कारवां पहले धर्मारण्य पिंडवेदी पहुंच रहा था। वहां दो पिंडवेदियों का कर्मकांड को एक साथ संपादित किया जा रहा था। सरस्वती पिंडवेदी दूर होने के कारण वहां होने वाले तर्पण को पिंडदानी मुहाने नदी में धर्मारण्य पिंडवेदी के समीप संपन्न कर यहां होने वाले पिंडदान को कर रहे थे। कोई प्रत्यक्ष रूप से अपने पूर्वजों की तस्वीर सामने रखकर पिंडदान कर रहे थे तो परोक्ष रूप से अपने पूर्वजों का स्मरण कर। विधि-विधान से यहां हर कोई पिंडदान करने में तल्लीन था। पिंडदान संपन्न होने पर परंपरागत तरीके से पिंड की आरती की जाती है। उसके बाद पिंड को धर्मारण्य वेदी पर बने अष्टकमल आकार के कूप में विसर्जित किया जाता है। यहां चहुंओर वैदिक मंत्र गूंज रहा था। कुछेक पिंडदानी अकाल मृत्यु के शिकार परिजनों के आत्मा की शांति के लिए त्रिपिंडी श्राद्ध भी कर रहे थे। त्रिपिंडी श्राद्ध करने वाले पिंडदानी विष्णु मंदिर के समीप अरहट कूप में नारियल छोड़ कर्मकांड के विधान को पूरा कर रहे थे। मातंगवापी वेदी पर भी ऐसा कुछ नजारा था। पिंडदानी अपने पितरों के पिंडदान कर रहे थे। वेदी परिसर में वैदिक मंत्र गूंज रहा था। पिंडदान संपन्न होने पर पिंडदानी मातंगेश शिव पर पिंड को समर्पित कर रहे थे। यहां पिंडदान का उल्लेख अग्नि पुराण में वर्णित है। उक्त दोनों पिंडवेदियों पर पिंडदान के विधान को संपन्न कर पिंडदानी महाबोधि मंदिर की ओर कूच करते हैं। इस बीच, निरंजना नदी में भी कुछेक पिंडदानी पिंडदान के विधान को संपन्न करते देखे जाते हैं। विश्वदाय धरोहर महाबोधि मंदिर परिसर के मुचलिंद सरोवर की ओर पिंडदानियों का जमावड़ा लगा है। वहां सभी भगवान विष्णु के नौवें अवतार भगवान बुद्ध के समक्ष पिंडदान के विधान को करते हैं। वैसे यहां कुछ ऐसे पिंडदानी भी मिलते हैं, जो समयाभाव के कारण धर्मारण्य, मातंगवापी और सरस्वती वेदी तक नहीं पहुंच पाए थे। बोधगया के पिंडवेदियों पर पिंडदान के विधान को संपन्न कर पिंडदानी अगले दिन ब्रह्मा क्षेत्र में पहुंचे और अगले दिन के पिंडदान के विधान को संपन्न किया।