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Chennai Express: कोरोना के खौफ पर भारी पेट की आग, गया से बिहार-झारखंड के मजदूर चले परदेस

कोरोना के बढ़ते मामले के कारण महाराष्‍ट्र और दिल्‍ली जैसे राज्‍यों से लोग लौट रहे हैं। वहीं पेट की आग बुझाने के लिए गया औरंगाबाद नवादा और बिहार के अन्‍य जिलों के अलावा झारखंड के पलामू जिले से बड़ी संख्या में लोग चेन्‍नई रवाना हुए।

By Vyas ChandraEdited By: Published: Sun, 11 Apr 2021 02:16 PM (IST)Updated: Sun, 11 Apr 2021 02:16 PM (IST)
Chennai Express: कोरोना के खौफ पर भारी पेट की आग, गया से बिहार-झारखंड के मजदूर चले परदेस
गया जंक्‍शन पर चेन्‍नई एक्‍सप्रेस का इंतजार करते मजदूर। जागरण

सुभाष कुमार, गया। पूरे देश में कोरोना की दूसरी लहर (Covid 19 Second Wave) से आम लोग दहशत में हैं। महाराष्‍ट्र समेत कई राज्‍यों से लोग लौट रहे हैं। लेकिन इस दहशत के बावजूद बिहार व झारखंड के पलामू जिले से बड़ी संख्या में मजदूर पलायन करने को विवश हैं। ये सभी मजदूरी के लिए परदेस जा रहे हैं। इनकी मानें तो कोरोना से ज्यादा पेट की आग सताती है। घर में बुजुर्ग मां-बाप, भूखे फटहाल भाई-बहन की लाचारी देखी नहीं जाती। शनिवार की देर रात गया जंक्शन के बाहरी हिस्से में खुले आसमान के नीचे जमीन पर परिवार संग लेटे सुनील उरांव और अजय नायक कुछ इसी तरह की बेबसी बयां करते हैं।

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नौकरी के लिए गया से चेन्‍नई जा रहे बिहार व झारखंड के लोग

गया जंक्शन से गया-चेन्नई एक्सप्रेस से सैकड़ों लोग ऐसे मिले दो दिनों बाद की सुबह जिनकी चेन्नई में होगी। जो मजदूर कोरोना काल के कारण लॉकडाउन में घर वापस आए थे। उन्हें अब मजबूरन वापस जाना पड़ रहा है।  कोरोना की लहर के बावजूद मजदूर फिर से बड़े शहरों का रुख कर रहे हैं। उन्हें अब कोरोना का डर नहीं सता रहा है। सबसे ज्यादा झारखंड के पलामू से बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूरों का द्वारा पलायन शुरू हो गया है। गया जंक्शन से सप्ताहिक एक्सप्रेस गया- चेन्नई (Gaya -Chennai Weekly Express ) रविवार की अलसुबह चेन्नई के लिए रवाना होती है। इस ट्रेन से आने के लिए चेन्नई के बड़े-बड़े कंपनी के लिए ठेकेदारों ने एडवांस पेमेंट और टिकट मुहैया करा दिया है।  गया व झारखंड के पड़ोसी जिलों के अलग-अलग गांव प्रखंडों के करीब दो सौ परिवार चेन्नई एक्सप्रेस पकड़ने पहुंचे थे।

मजदूरों का दर्द:  अपने जिले में नहीं मिलता ढंग का काम काज 

पलामू के सुनील उरांव व नीलम देवी अपने बच्चों के साथ भात खा रहे हैं। सब्जी-दाल नहीं दिखती। वे धीमे स्वर में बताते हैं कि पेट की भूख और बेरोजगारी के कारण बड़े शहरों में मजदूरी करते हैं। पिछले साल लॉकडाउन के दौरान काफी मुश्किलों से सामना कर अपने प्रदेश झारखंड लौटे थे। लेकिन जिले में कोई रोजगार नहीं मिलने के कारण काफी मुश्किल से गुजर रहे थे। पेट के भूख के आगे कोराना का डर कुछ भी नहीं है।

कंपनी के ठेकेदार एडवांस पेमेंट और टिकट की सुविधा दिला कर ले जाते हैं 

कंपनी के ठेकेदार की ओर से इन मजदूरों को एडवांस वेतन दिया जाता है। उन्होंने बताया है कि अगर उन्हें रोजगार मिलता है तो उनके परिवार को भूखे नहीं रहना पड़ेगा। वहीं, मनातू थाना क्षेत्र के उदय भूइयां ने बताया कि जिले में कोई रोजगार नहीं मिलने के कारण काफी मुफलिसी थी। अब परिवार की खातिर वह फिर से बाहर जा रहा है।पलामू के छोटू व विकू नायक ने बताया कि पलामू में रोजगार की कमी है। मजदूरी का काम भी काफी मुश्किल से मिलता है। लेकिन जिले में कोई रोजगार नहीं मिलने के कारण काफी मुश्किल का दौर से गुजर रहे थे। इस कारण पूरे परिवार के साथ गया जंक्शन परिसर में रविवार की सुबह गया -चेन्नई एक्सप्रेस खुलती है उस ट्रेन को पकड़ने पहुंचे है। गया बाराचट्टी इलाके से पवन कुमार, राजू भी चेन्नई जाने के लिए पहुंचे हैं।

मुंबई से वापस अपने गांव घर भी लौट रहे मजदूर

गया जंक्शन पर इन दिनों हर तरह की स्थिति देखने को मिल रही है। एक तरफ बिहार से मजदूरों का पलायन हो रहा है तो वही मुंबई जैसे प्रदेशों में कोरोना अधिक फैलने के बाद लोग वापस अपने जिला भी आ रहे हैं। वहीं,रेलवे बोर्ड के निर्देश पर मुंबई समेत अन्य बडे शहरों में फंसे प्रवासी मजदूर को स्पेशल ट्रेन चलाकर बिहार व झारखंड के विभिन्न स्टेशनों लाया जा रहा है। मुंबई से आने वाले मजदूर अब इस बात को लेकर परेशान हैं कि वहां से उन्हें बिहार तो भेज दिया गया। लेकिन अब वह यहां करेंगे क्या? कैसे उनकी रोजी-रोटी चलेगी? कैसे बच्चों की परवरिश होगी ?


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