योजनाएं तो कई हैं, पर गांवों तक पहुंचे भी
योजनाएं कई हैं पर लोगों को पता नहीं। यह दर्द है चोरदाहा गांव के लोगों का।
गया। योजनाएं कई हैं, पर लोगों को पता नहीं। यह दर्द है चोरदाहा गांव के लोगों का। वे उम्मीद लगा बैठे हैं कि विकास की बयार उनके गांव तक भी पहुंचे।
रोजगार का साधन आज भी जंगल से लकड़ी काटकर लाना और मजदूरी ही है। बरसात के दिनों में मुश्किलें बढ़ जाती हैं, क्योंकि मुख्य पथ से गाव तक आने-जाने के लिए सड़क नहीं बनी। रविवार को दैनिक जागरण की टीम प्रखंड के चोरदाहा गाव पहुंची तो लोगों की व्यथा भी थी, आक्रोश भी। वृद्धा मंगरी देवी कहती हैं कि हमारे गाव की सूरत कब बदलेगी। जिस जंगल में रहते हैं, उसी में आज भी हमलोग कठौतिया जाकर वोट देकर कितना नेता बनाए, पर किसी को हम लोगों की बेबसी पर तरस नहीं आई। अन्छी देवी कहती हैं, उन्हें दो साल से पेंशन नहीं मिली है। कैली देवी कहती हैं कि अधिकाश वृद्ध और विधवा को पेंशन का लाभ नहीं मिलता है। बिरेन्द्र माझी, मतीया देवी कहती हैं कि स्कूल है। यहा कभी-कभी शिक्षक आते हैं। बाकी दिन बच्चे खेलते रहते हैं। वैसे इस गाव में कोई भी मैट्रिक पास नहीं है। लड़कियां भी जंगल में लकड़ी काटकर दो पैसे की आमदनी कर घर चलाने में सहयोग करती हैं। कारू माझी कहते हैं कि सरकार की कौन-कौन योजना हमलोगों के लिए चल रही है, इसकी जानकारी नहीं है। चार लोगों को उज्ज्वला से गैस कनेक्शन मिला है। चन्द्र माझी बताते हैं कि 132 घरों का गाव है। अभी मात्र बीस घर में ही शौचालय बना है। गाव में मुख्यमंत्री सात निश्चय योजना से पाईप का जाल बिछाया गया है, पर अभी पानी नहीं आया है। बिजली का इंतजार है। ग्रामीण कुआ और नाला से पानी लाकर पीते हैं। विदवा देवी कहती हैं कि पेयजल का कोई साधन नहीं है।