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दशरथ मांझी का परिवार मिट्टी के घर में रहने को विवश

बीएसएफ जवान गौतम कुमार रविवार को गहलौर घाटी की महत्ता देखने के लिए पहुंचे थे। पर्वत पुरुष दशरथ मांझी द्वारा पहाड़ की सीना चीर आम लोगों के लिए बनाए गए रास्ते को देखकर आश्चर्यचकित रह गए। बाद में उन्होंने उनके परिवार से मिलने गए।

By JagranEdited By: Published: Mon, 18 Nov 2019 01:34 AM (IST)Updated: Mon, 18 Nov 2019 01:34 AM (IST)
दशरथ मांझी का परिवार मिट्टी  के घर में रहने को विवश
दशरथ मांझी का परिवार मिट्टी के घर में रहने को विवश

गया । बीएसएफ जवान गौतम कुमार रविवार को गहलौर घाटी की महत्ता देखने के लिए पहुंचे थे। पर्वत पुरुष दशरथ मांझी द्वारा पहाड़ की सीना चीर आम लोगों के लिए बनाए गए रास्ते को देखकर आश्चर्यचकित रह गए। बाद में उन्होंने उनके परिवार से मिलने गए। उनका परिवार आज भी मिट्टी के घर में रहने को मजबूर हैं। दशरथ मांझी ने पूरे देश में गया का नाम रौशन किया था। उनके परिवार की दुर्दशा देकर अवाक रह गया। स्व. दशरथ मांझी के पुत्र भागीरथ मांझी व उनके परिवार से मिले। उन्होंने नम आंखों से अपने परिवार की दशा सुनाई। बताया कि यहां बड़े-बड़े नेता, सिने कलाकार आए, परंतु सिर्फ बातें कीं। लेकिन व्यथा को कम करने के लिए कभी प्रयास नहीं किया। दर्द भरी बातें रखते हुए कई बार आंखें छलक गई। कहा कि मैं दिव्यांग हूं, फिर भी मजदूरी करने को बाध्य हैं। अगर मजदूरी नहीं करेंगे तो परिवार को खाना नसीब नहीं होता है। जवान ने परिवार को छोटी सी भेंट दी। यथासंभव आर्थिक मदद देने का आश्वासन दिया। साथ ही सरकार को भी इनकी समस्या से अवगत कराने का भरोसा दिलाया।

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