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तंत्र के ज्ञान बिना अभिषेक निरर्थक : दलाई लामा

गया। तिब्बतियों के आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा ने बुधवार को टीचिंग प्रोग्राम के अंतिम दिन कहा ि

By JagranEdited By: Published: Thu, 27 Dec 2018 02:22 AM (IST)Updated: Thu, 27 Dec 2018 02:22 AM (IST)
तंत्र के ज्ञान बिना अभिषेक निरर्थक : दलाई लामा
तंत्र के ज्ञान बिना अभिषेक निरर्थक : दलाई लामा

गया। तिब्बतियों के आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा ने बुधवार को टीचिंग प्रोग्राम के अंतिम दिन कहा कि तंत्र के ज्ञान के बिना अभिषेक निरर्थक है।

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उन्होंने श्रद्धालुओं को वज्र विभावक अभिषेक देते हुए कहा कि तंत्र का ज्ञान मानव में ऊर्जा का संचार करता है। तिब्बती बौद्ध परंपरा में तंत्र की व्यवस्था ¨हदुओं की ही तरह है। बौद्ध धर्म 21वीं सदी के साथ चलने वाला है। उन्होंने कहा कि शून्यता ही रूप है, रूप शून्य है। शून्यता रूप से पृथक नहीं है। वेदना, संस्कार, विज्ञान व संज्ञा भी शून्य है। सभी धर्म शून्य है। न जरा है, न मरण है, न ज्ञान है, न अप्राप्ति है। बोधिसत्व की ज्ञान प्राप्ति के लिए तीनों कालों में बुद्ध ने प्रज्ञा पारमिता पर आश्रित रहने का संदेश दिया है। उन्होंने कहा कि आचार्य नागार्जुन ने बुद्ध वचन की व्याख्या की है। बुद्ध के वचन को सिद्ध भी किया है। दलाई लामा के शिष्यों ने दंडवत कर आशीर्वाद लिया। आध्यात्मिक गुरु ने कहा कि शून्यता का अभ्यास, करुणा का अभ्यास, बुद्ध चित्त के अभ्यास को आधार मानकर अभिषेक ले सकते हैं। जल, मुकुट, कलश और ग्रंथ का अभिषेक कर दीक्षा प्राप्त की जा सकती है। जब भी कोई उपासक और उपासिका अभिषेक लेते हैं तो अपने मन में पंचशील का संकल्प अवश्य लें।


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