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टिकारी में सीयूएसबी के हिंदी विभाग ने संत रविदास की 644वीं जयंती पर संगोष्ठी का किया आयोजन

दक्षिण बिहार केन्द्रीय विश्विविद्यालय के हिन्दी विभाग के ‘साहित्य एवं कला परिषद’ द्वारा शनिवार को संत रविदास की 644 वी जयंती पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। विभाग के सह प्राध्यापक ने जाति चेतना और श्रम की महत्ता पर प्रकाशा डाला।

By Prashant KumarEdited By: Published: Sat, 27 Feb 2021 03:30 PM (IST)Updated: Sat, 27 Feb 2021 03:30 PM (IST)
टिकारी में सीयूएसबी के हिंदी विभाग ने संत रविदास की 644वीं जयंती पर संगोष्ठी का किया आयोजन
गया के सीयूएसबी में रविदास जयंती पर संगोष्‍ठी का आयोजन। जागरण।

संवाद सहयोगी, टिकारी (गया)। दक्षिण बिहार केन्द्रीय विश्विविद्यालय के हिन्दी विभाग के ‘साहित्य एवं कला परिषद’ द्वारा शनिवार को संत रविदास की 644 वी जयंती पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर ‘सन्त रविदास के विचारों की प्रासंगिकता’ विषय पर आयोजित संगोष्ठी के मुख्य वक्ता भाषा और साहित्य पीठ के अध्यक्ष प्रोफेसर सुरेश चंद ने रविदास को गौतम बुद्ध के बाद भारत में सामाजिक क्रांति का विगुल फूंकने वाला सबसे बड़ा क्रांतिकारी व्यक्ति बताया। उन्होने रविदास की कविताओं को मार्क्सवाद से जोड़ते हुए श्रम संस्कृति की महत्ता को उजागर किया।

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हिन्दी विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. कर्मानंद आर्य एवं शोधार्थी सत्येन्द्र कुमार के संयोजन में विश्वविद्यालय परिसर में पहली बार संत रविदास जयंती के आयोजन पर उन्होंने हर्ष प्रकट किया। इससे पूर्व कार्यक्रम का औपचारिक उद्घाटन सन्त रविदास के छायाचित्र पर पुष्पांजलि एवं माल्यार्पण के साथ हुआ। इसके पश्चात हिन्दी विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ॰ रामचन्द्र रजक ने रविदास की कविताओं में मिलनेवाले शास्वत मानवीय मूल्यों सत, संतोष, सदाचार आदि गुणों की तरफ इशारा करते हुए उनकी प्रासंगिकता पर विस्तारपूर्वक चर्चा की। विभाग के सह- प्राध्यापक डॉ॰ रवीन्द्र कुमार पाठक ने जाति चेतना और श्रम की महत्ता पर प्रकाशा डालते हुए रविदास पर नए दृष्टिकोण से विचार करने की आवश्यकता पर बल दिया। वहीँ सहायक प्राध्यापक डॉ. योगेश प्रताप शेखर ने संविधान में मिलने वाले समानता बंधुता के सिद्धान्त को संत रविदास की शिक्षाओं से प्रेरित बताया ।

कार्यक्रम में शोधार्थी सीमा, अंबालिका जायसवाल, रुद्र चरण माँझी ने सन्त रविदास की रचनाओं पर बात करते हुए उनकी महत्ता और प्रासंगिकता पर रौशनी डाला। शोधार्थी किशोर ने रविदास की रचनाओं का काव्य-पाठ किया। कार्यक्रम में भाषा एवं साहित्य पीठ सह हिन्दी विभाग के प्राध्यापकगणों डॉ॰ अनुज लुगुन, डॉ॰ शांति भूषण के साथ अन्य विभागों से डॉ अभय लियोनार्ड एक्का, डॉ॰ प्रदीप राम, चन्दन तिवारी, सिद्धांत सिंह, रामरतन, मेघा सिन्हा, प्रियंका, कुमारी शानू, पुष्पा, उत्कर्ष वीर सहित अन्य दूसरे विभाग के अध्यापक शोधार्थी, विद्यार्थी उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन शोधार्थी चाहत एवं धन्यवाद ज्ञापन शोधार्थी सत्येन्द्र कुमार ने दिया।


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