ब्रह्मा सरोवर में उमड़ी पिंडदानियों की भीड़, किया कर्मकांड
धर्मग्रंथों में उल्लेख है कि मनुष्य मुख्य रूप से तीन ऋण ऋणी है। पितृ देव और ऋषि ऋण। इनमें सर्वोपरि पिता एवं माता ऋण है। इसी ऋण से मुक्ति के लिए लोग पितृपक्ष में प्रत्येक दिन हजारों की संख्या में गयाधाम पहुंच रहे हैं। यहां पितरों की मोक्ष की कामना को लेकर पिंडदान एवं तर्पण कर रहे हैं।
गया । धर्मग्रंथों में उल्लेख है कि मनुष्य मुख्य रूप से तीन ऋण ऋणी है। पितृ, देव और ऋषि ऋण। इनमें सर्वोपरि पिता एवं माता ऋण है। इसी ऋण से मुक्ति के लिए लोग पितृपक्ष में प्रत्येक दिन हजारों की संख्या में गयाधाम पहुंच रहे हैं। यहां पितरों की मोक्ष की कामना को लेकर पिंडदान एवं तर्पण कर रहे हैं।
पितृपक्ष के छठे दिन बुधवार को पिंडदानियों ने ब्रह्मा सरोवर के तट पर पिंडदान किया। सूर्य उदय होते ही पिंडदानी सरोवर के पास पहुंचने लगे। देखते-देखते पूरा सरोवर परिसर पिंडदानियों से भर गया। यहां सरोवर के पवित्र जल से तर्पण किया। तर्पण के बाद पिंडदानियों से सरोवर के किनारे बने चबूतरे एवं पंडाल में बैठ कर कर्मकांड किया। प्रशासन द्वारा पंडाल में पिंडदानियों के लिए कई पंखे लगाए गए। पिंडदानी अपने साथ जौ का आटा, चावल, तिल, दूध, घी, फल आदि सामग्री लेकर सरोवर के पास पहुंच रहे थे। यहां गयापाल पुरोहित द्वारा वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ कर्मकांड संपन्न कराया गया। उसके बाद पितरों के अर्पित पिंड को कागबली वेदी में प्रवाह किया गया। गयापाल पुरोहित नारायण लाल भैया ने कहा कि वेदी के बीच स्थित गड्ढ़े में काग, यमराज एवं स्वान की प्रतिमा है। यहां पिंड को अर्पित करने से प्रेत आत्मा से मुक्ति मिलती है। साथ ही ब्रह्मा सरोवर में ब्रह्माजी ने यज्ञ किया था। सनातन धर्म में सरोवर का काफी महत्व है।