Corrupt officers in Bihar: औरंगाबाद के डीडीसी और सीओ भी पाए गए थे भ्रष्ट, लंबे समय तक रहे जेल में
औरंगाबाद जिले में घूसखोर अधिकारियों पर निगरानी की कार्रवाई होती रही है। अधिकारी जेल जाते रहे हैं पर घूसखोरी का धंधा बंद तो दूर मंदा भी नहीं हुआ। अफसरशाही चरम पर है। लोगों की समस्याओं का निवारण तो नहीं होता और नजराना देना पड़ता है।
औरंगाबाद, जेएनएन। औरंगाबाद जिले में घूसखोर अधिकारियों पर निगरानी की कार्रवाई होती रही है। अधिकारी जेल जाते रहे हैं पर घूसखोरी का धंधा बंद तो दूर मंदा भी नहीं हुआ। गुरुवार को पटना से पहुंची निगरानी की टीम ने ओबरा के प्रखंड सहकारिता पदाधिकारी (BCO) अंकेश पासवान को ओबरा व्यापार मंडल अध्यक्ष अनीश कुमार उर्फ गिरीश शर्मा से 35 हजार रुपये रिश्वत लेते गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी करने के बाद बीसीओ को निगरानी की टीम पटना लेकर चली गई। शुक्रवार को उसे विशेष कोर्ट में पेश कराने के बाद न्यायिक हिरासत में भेजा जाएगा।
पहले भी होती रही है निगरानी विभाग की कार्रवाई
निगरानी विभाग की कार्रवाई इस जिले में पहले भी होते रही है। वर्ष 2018 में जिले में निगरानी की टीम ने ताबड़तोड कार्रवाई की थी और जिला सहकारिता पदाधिकारी (डीसीओ) बीरेंद्र कुमार, औरंगाबाद नगर परिषद में कार्यरत शहरी विकास अभिकरण के कनीय अभियंता परमानंद सिंह, दाउदनगर के सीओ विनोद कुमार एवं मदनपुर मध्य विद्यालय के करोड़पति प्रधान शिक्षक मो. शाहबुद्दीन को गिरफ्तार कर जेल भेजा था। डीसीओ को वर्तमान पैक्स अध्यक्ष सह ओबरा विधानसभा से जन अधिकार पार्टी लोकतांत्रिक से चुनाव लड़े चुन्नु यादव ने पकड़वाया था। दाउदनगर सीओ को निगरानी की टीम ने अंकोढ़ा के किसान सूरज यादव की शिकायत पर जमीन की जमाबंदी के लिए लिए गए दो लाख रिश्वत के साथ पकड़ा था।
महिला सीडीपीओ भी पकड़ी गईं थीं रंगेहाथ
तीन वर्ष पहले निगरानी की टीम ने गोह में एक सेविका से रिश्वत लेने के मामले में सीडीपीओ अरुणा को गिरफ्तार कर जेल भेजा था। जिले में सबसे पहला निगरानी की कार्रवाई एमवीआई रघुवंश कुंवर के खिलाफ की गई थी। शेरघाटी के ट्रक ट्रांसपोर्टर की शिकायत पर पटना से पहुंची निगरानी की टीम ने एमवीआई को शहर के दानीबिगहा स्थित आवासीय कमरे से रिश्वत की रकम के साथ गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी के बाद MVI को जेल भेजा गया था। इस कार्रवाई के बाद निगरानी की टीम ने वर्ष 2008 में आरईओ के कार्यपालक अभियंता श्रीकांत प्रसाद एवं सहायक अभियंता श्रीकांत सिंह के खिलाफ की थी। निगरानी की टीम ने उस समय के ठेकेदार राजन सिंह की शिकायत पर कार्रवाई करते हुए दोनों को रिश्वत के साथ आरईओ के कार्यालय से गिरफ्तार कर जेल भेजा था। घूसखोर अधिकारियों पर निगरानी की कार्रवाई होते रही है फिर भी अधिकारी से लेकर कार्यालय के कर्मी के द्वारा धूस लेना बंद नहीं किया है। बताया जाता है कि आगे भी जिले के और कुछ अधिकारी एवं कार्यालय के कर्मी पर निगरानी की कार्रवाई हो सकती है।