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कोरोना ने संयुक्त परिवार के महत्व को समझाया

बोधगया कोरोना काल ने सभी लोगों के कार्य और व्यवहार में परिवर्तन लाया है। इससे नारी शक्ति भी अछूता नहीं है। इस महामारी में कुछ बाध्यता सबके सामने आई है। लेकिन एक दूसरे को समझने का और सामंजस्य बिठाने का अवसर दिया है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 12 Jun 2021 12:00 AM (IST)Updated: Sat, 12 Jun 2021 12:00 AM (IST)
कोरोना ने संयुक्त परिवार के महत्व को समझाया
कोरोना ने संयुक्त परिवार के महत्व को समझाया

बोधगया : कोरोना काल ने सभी लोगों के कार्य और व्यवहार में परिवर्तन लाया है। इससे नारी शक्ति भी अछूता नहीं है। इस महामारी में कुछ बाध्यता सबके सामने आई है। लेकिन एक दूसरे को समझने का और सामंजस्य बिठाने का अवसर दिया है। उक्त बातें मगध विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो राजेंद्र प्रसाद ने शुक्रवार को कोरोना का द्वितीय संघात और आधी दुनिया का आसमां विषय पर आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार में अपने अध्यक्षीय संबोधन में कही। वेबिनार स्नातकोत्तर गृहविज्ञान विभाग एवं जनसंचार समूह के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित था। उन्होंने कहा कि शिक्षा ने नारी को सर्वगुण और सबल बनाया है। 21 वीं सदी में बहुत सारा परिवर्तन आ रहा है। विकृति के साथ चेतना भी आ रही है। आज संयुक्त परिवारों के महत्व को लोग समझने लगे हैं। कोरोना महामारी ने स्त्री और पुरुष दोनों को संवेदनशील बनाया है। मुख्य वक्ता डॉ सुप्रिया पाठक ने कहा कि कोरोना काल में लोगों ने घरों को एक नई ²ष्टि से देखा। शुरुआती दिनों में काफी रोमांचक था। महिलाएं जीवन भर और अलिखित तथा अघोषित लॉकडाउन का शिकार होती है। पुरुषों ने भी कोरोना काल में इसे महसूस किया। विशिष्ट वक्ता प्रो एमएन अंजुम ने कहा कि हम अपने जीवन में कभी हार नहीं माने और चलते जाएं। यह शब्द उन महिलाओं के प्रति समर्पित है जिन्होंने कोरोना के संघात को झेला है। विशिष्ट वक्ता स्मिता शर्मा ने कहा कि अगर बेटी नहीं बचाओगे, तो घर की रोटी कैसे खाएंगे। घर की प्राथमिक जिम्मेवारी महिलाओं पर ही है। उन्होंने इंडिया और भारत के बीच के अंतर के साथ महिलाओं की स्थिति की विस्तार से चर्चा की। विशिष्ट वक्ता विजेता ने कहा कि कोरोना काल में सबसे ज्यादा आर्थिक तबाही हुई है। 23 करोड़ लोग गरीबी रेखा के नीचे आ गए हैं। मानसिक तौर पर भी महिलाओं पर बहुत असर पड़ा है। डॉ अलका मिश्र ने कहा कि बाहर शक्तिशाली देवियां तो है लेकिन घर में स्त्रियां शक्तिहीन है। कोरोना काल में स्त्रियों का काम बढ़ गया है। विभागाध्यक्ष गृहविज्ञान प्रो किशोर कुमार ने कहा कि जब सारी दुनिया घर में सिमटी हो तो घर की नारियों पर सबों की जिम्मेवारी बढ़ गई थी। वैसे समय में वह आधी दुनिया ही नहीं, पूरी दुनिया का दायित्व निर्वहन कर रही थी। कार्यक्रम का संचालन करते हुए समन्वयक डॉ शैलेंद्र मणि त्रिपाठी ने कहा कि इस कठिन दौर में वेब गोष्ठी एक सशक्त माध्यम है। वेबिनार में प्रो सुधीर कुमार मिश्र, प्रो निभा सिंह, डॉ कुमारी रश्मि प्रियदर्शनी, डॉक्टर तेजी ईशा, डॉ स्मिता सहित अन्य जुड़े थे। डॉ दीपशिखा पाण्डेय ने नारी के सम्मान में एक कविता की प्रस्तुति के साथ सभी अतिथियों का स्वागत किया तथा संस्कृत विभाग की डॉ ममता मेहरा ने आभार प्रकट किया।

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