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Gaya Lockdown 4.0: बौद्ध भिक्षुओं के लिए वर्षावास काल साबित हो रहा लॉकडाउन

वैश्विक महामारी कोरोना के संक्रमण के काल में जारी लॉकडाउन में बौद्ध भिक्षु परेशान हैं। ऐसे में यह काल उनके लिए वर्षावास काल की तरह का हो गया है।

By Edited By: Published: Wed, 20 May 2020 11:03 PM (IST)Updated: Thu, 21 May 2020 09:45 AM (IST)
Gaya Lockdown 4.0: बौद्ध भिक्षुओं के लिए वर्षावास काल साबित हो रहा लॉकडाउन
Gaya Lockdown 4.0: बौद्ध भिक्षुओं के लिए वर्षावास काल साबित हो रहा लॉकडाउन

गया, जेएनएन। वैश्विक महामारी कोरोना के संक्रमण के फैलाव से बचाव के लिए 58 दिनों से जारी लॉकडाउन बौद्ध भिक्षुओं के लिए वर्षावास काल साबित हो रहा है। अंतर सिर्फ इतना है कि वर्षावास काल के दौरान मंदिरों के पट खुले रहते हैं, लेकिन लॉकडाउन में मंदिर के पट इन दिनों बंद हैं।

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भले ही वर्षावास काल व्यतीत करने वाले बौद्ध भिक्षुओं द्वारा विचरण कर मंदिर में पूजा-अर्चना नहीं की जाती हो। भगवान बुद्ध के उपदेश के अनुसार वर्षावास काल बौद्ध भिक्षुओं द्वारा बरसात के मौसम में चार माह तक एक ही स्थान पर रहकर अपना समय पूजा-अर्चना और ध्यान-साधना में व्यतीत करना होता है।

बोधगया महाबोधि मंदिर प्रबंधकारिणी समिति के भिक्षु प्रभारी भंते चालिंदा कहते हैं, वर्षावास काल भगवान बुद्ध ने भी व्यतीत किया था। इसके पीछे तर्क यह था कि बरसात के मौसम में छोटे-छोटे जीव जंतुओं का जन्म होता है। जो नजर में नहीं आते, लेकिन पैरों के नीचे आ सकते हैं। जिससे उनकी मौत हो सकती है। इसलिए एक ऊंचे स्थान पर रहकर वर्षावास काल व्यतीत करने का उपदेश बुद्ध ने दिया था।

ठीक उसी प्रकार इस लॉकडाउन में बौद्ध भिक्षु बाहरी परिवेश से अनभिज्ञ होकर एक ही स्थान पर रहकर पूजा-अर्चना और ध्यान-साधना में तल्लीन हैं। क्योंकि बौद्ध मंदिर-मोनॉस्ट्री के पट भी बंद हैं। वे कहते हैं, अंतर सिर्फ इतना है कि वर्षावास जुलाई से अक्टूबर माह के बीच होता है। उस दौरान बारिश होती है, लेकिन लॉकडाउन में मौसम का रंग आए दिन बदल रहा है। आंधी, तूफान और ओले गिर रहे हैं।

वर्षावास काल समापन के बाद तो बौद्ध उपासक-उपासिकाओं द्वारा भिक्षुओं को समारोह आयोजित कर चीवर (पहने वाला वस्त्र) सहित अन्य दैनिक उपयोग का सामग्री दान दिया जाता है, जिसे चीवरदान समारोह कहा जाता है। यह एक माह तक चलता है। इस लॉकडाउन के बाद तो वैसा कुछ नहीं होगा।

बता दें कि बोधगया स्थित विभिन्न बौद्ध मोनॉस्ट्री के प्रभारी व वहां रहने वाले भिक्षुओं का दिनचर्या में पूजा-अर्चना व ध्यान-साधना के साथ-साथ प्रतिदिन विश्वदाय धरोहर महाबोधि मंदिर आना भी शामिल था। महाबोधि मेडिटेशन सेंटर में रहने वाले छोटे-छोटे बाल भिक्षु लॉकडाउन में सेंटर परिसर में ही अध्ययन और पूजा-अर्चना कर रहे हैं। लॉकडाउन से पहले प्रतिदिन सुबह में सभी महाबोधि मंदिर आकर पूजा-अर्चना कर मंदिर का परिक्रमा किया करते थे। इसी प्रकार तेरगर मोनॉस्ट्री में रहने वाले बाल भिक्षु सप्ताह में एक दिन महाबोधि मंदिर आकर पूजा-अर्चना किया करते थे। लॉकडाउन के कारण वो फिलहाल बंद है। कुछ बौद्ध भिक्षु इस लॉकडाउन में बोधगया के आसपास के गांवों तथा दूसरे प्रखंड के सुदूरवर्ती गांवों में जाकर गरीबों व जरूरतमंदों को सूखा राशन मुहैया कराकर पुण्य कमाने में जुटे हैं।


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