Move to Jagran APP

दूर-दूर के पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा भगवान बुद्ध की अनन्‍य भक्‍त रहीं सुजाता का गढ़

बोधगया स्थित सुजाता का गढ़ अब पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करने लगा है। दूर-दूर के पर्यटक यहां पहुंचते हैं। पुरातत्‍व विभाग की ओर से यहां पर कराई गई खुदाई में यहां से प्राचीनकाल की प्रतिमाएं व अभिलेख मिले थे।

By Bihar News NetworkEdited By: Published: Tue, 03 Nov 2020 12:18 PM (IST)Updated: Tue, 03 Nov 2020 12:18 PM (IST)
दूर-दूर के पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा भगवान बुद्ध की अनन्‍य भक्‍त रहीं सुजाता का गढ़
बोधगया स्थित प्राचीनकालीन सुजाता गढ। जागरण फोटो

जेएनएन,गया।निरंजना नदी के पूर्वी तट पर आदर्श ग्राम बकरौर में स्थित सुजाता गढ़ बौद्ध धर्मावलंबियों के लिए पूज्यनीय है। मिट्टी के टीले के रूप में रहे इस स्तूप की भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने खुदाई की तो विशाल खंडित स्तूप उभरकर सामने आया था। उसके बाद विभाग ने गहनता से यहां की खुदाई शुरू कराई। खुदाई के दौरान लगभग 150 किग्रा का भगवान बुद्ध की विशाल खंडित प्रतिमा व भगवान विष्णु की एक फीट ऊंची काले प्राचीन पत्थर की प्रतिमा मिली थी । उसे जांच व संरक्षण के लिए बोधगया संग्रहालय में सुरक्षित रखा गया है। यह बौद्ध धर्मावलंबियों के लिए काफी अहम स्‍थान रखता है।

loksabha election banner

इतिहास के जानकार कहते हैं कि यह स्‍थल पुरातात्विक दृष्टिकोण से काफी महत्‍वपूर्ण है। खुदाई में प्राप्त अभिलेख व प्रतिमा पाल वंश कालीन दृष्टिगत होती हैं । वर्तमान में स्तूप के निचले हिस्से का व्यास 150 फीट और ऊंचाई 50 फीट है। स्तूप का निर्माण तीन चरणों में होने की पुष्टि होती है। इसका विस्‍तृत अध्‍ययन करने की जरूरत जानकार बताते हैं।

राजकुमार सिद्धार्थ को बुद्धत्व प्राप्ति के लिए मध्यम मार्ग का अनुगामी बनाने को प्रेरित करने वाली सुजाता का गढ़ आज पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। कहा जाता है कि इसी स्थल पर तत्कालीन सेनानी ग्राम की सुजाता ने तप कर रहे राजकुमार सिद्धार्थ को पायस यानी खीर खिलाया था। वह बुद्ध की अनन्‍य भक्‍त थी। इस स्‍थल को रोशनी में लाने का प्रयास किया जा रहा है। इसी के तहत प्रति वर्ष बोधगया में होने वाले बौद्ध महोत्सव के अवसर पर राजकुमार सिद्धार्थ की तपः स्थली ढुङगेस्व्री पहाड़ी के तलहटी से निकलने वाली ज्ञान यात्रा का एक पड़ाव स्थल सुजाता गढ़ भी है। इस पड़ाव का अर्थ ज्ञान यात्रा में शामिल होने वाले विदेशी पर्यटकों को इसकी महत्ता से अवगत कराना है। धीरे-धीरे यहां पर्यटकों की संख्‍या बढ़ भी रही है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.