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...जब चीनी सैनिकों ने तिब्बत के मंत्रियों को ऐसे किया था अपमानित

दलाईलामा के बोधगया प्रवास के दौरान तिब्बती संगठनों ने कई स्टॉल और प्रदर्शनियां लगाई हैं। इसके माध्‍यम से दिखाया गया है कि किस तरह चीनी सैनिकों ने उनके मंत्रियों को अपमानित किया था।

By Ravi RanjanEdited By: Published: Fri, 05 Jan 2018 05:20 PM (IST)Updated: Fri, 05 Jan 2018 10:51 PM (IST)
...जब चीनी सैनिकों ने तिब्बत के मंत्रियों को ऐसे किया था अपमानित
...जब चीनी सैनिकों ने तिब्बत के मंत्रियों को ऐसे किया था अपमानित

गया [जेएनएन]। चीन द्वारा ढाए गए जुल्म को तिब्बती नहीं भूले हैं। उनके वह जख्म जिंदा हैं कि किस तरह चीनी सैनिकों ने उनके मंत्रियों को गिरफ्त में लेकर टोपी पहना दी थी, जिस पर अभद्र शब्द अंकित थे। तिब्बती चित्र प्रदर्शनी के माध्यम से चीन द्वारा मानवाधिकार हनन पर दुनिया का ध्यान आकृष्ट करने का प्रयास कर रहे हैं।

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धर्मगुरु दलाईलामा के बोधगया प्रवास के दौरान तिब्बती संगठनों ने यहां कई स्टॉल और प्रदर्शनियां लगाई हैं। प्रदर्शनी में रखे गए चित्र चीनी दमन की कहानी बयां कर रहे हैं। कालचक्र मैदान के सामने कु चु सुम मूवमेंट एसोसिएशन ऑफ तिब्बत ने एक स्टाल में चित्र प्रदर्शनी लगाई है। इसमें तिब्बत के समृद्ध इतिहास को दर्शाया गया है। वहां प्रचलन में रही मुद्रा भी दर्शाई गई है। इसके साथ ही चीनी दमन की भयावहता संबंधी चित्र हैं।

एसोसिएशन के सोनम दोरजे चित्रों को दिखाते हुए बताते हैं कि यह 1914 में शिमला में तिब्बत और चीन के बीच हुआ समझौता है। 1950 में चीनी सैनिकों की बैठक का चित्र है। एक चित्र में 40 हजार चीनी सैनिक तिब्बत की दुर्गम पहाड़ी से होकर ल्हासा की ओर कूच कर रहे हैं। 1952-53 में उनका ल्हासा पहुंचना और इसके बाद बर्बरता की दास्तां चित्रों में उकेरी गई है।

उन्होंने कहा कि चीनी सैनिकों ने सबसे पहले ल्हासा में तिब्बत के मंत्रियों को अपने कब्जे में कर उनके साथ अमानवीय व्यवहार किया। मंत्रियों के हाथ बांध दिए। उनके सिर पर टोपी पहना दी गई, जिस पर चीनी भाषा में अभद्र शब्द अंकित थे।

मंत्रियों को याचक की भूमिका में खड़ा कर प्रताडि़त किया गया था। प्रदर्शनी में 1987 में तिब्बत में बौद्ध लामाओं का विरोध और उसके बाद तिब्बती बौद्ध लामाओं व नागरिकों को प्रताडि़त किए जाने के भी चित्र लगे हैं। इसके अलावा चीन द्वारा तिब्बत की प्राकृतिक संपत्ति को समाप्त करने के चित्र हैं।

सोनम ने कहा कि चित्र प्रदर्शनी लगाने के पीछे एक ही उद्देश्य है कि इस अंतरराष्ट्रीय पर्यटक स्थल पर आने वाले भारत सहित विभिन्न देशों के लोग तिब्बतियों के साथ चीन द्वारा किए गए मानवाधिकार हनन से अवगत हों और तिब्बत के समर्थन में जनमत संग्रह हो।


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