बदलते लाइफ-स्टाइल ने बढ़ाई बांझपन की समस्या : डॉ. सुमाना पांडा
बदलते लाइफ-स्टाइल ने हर उम्र के लोगों की सेहत पर अपना प्रभाव दिखाया है। महिलाओं में बांझपन की समस्या बढ़ी है। अधिक उम्र में शादी भागदौड़ भरी जिंदगी घर-परिवार से लेकर कामकाज का तनाव यह सभी बांझपन का कारण बना है।
गया । बदलते लाइफ-स्टाइल ने हर उम्र के लोगों की सेहत पर अपना प्रभाव दिखाया है। महिलाओं में बांझपन की समस्या बढ़ी है। अधिक उम्र में शादी, भागदौड़ भरी जिंदगी, घर-परिवार से लेकर कामकाज का तनाव यह सभी बांझपन का कारण बना है।
ये बातें होम्योपैथी साइंटिफिक सेमिनार के दूसरे दिन रविवार को मुख्य वक्ता के रूप में ओडिशा की डॉ. अभिन्न चंद्र होम्योपथी मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पीटल कीएसोसिएट प्रो. डॉ.सुमाना कुमारी पांडा ने कहीं। उन्होंने बांझपन(फर्टिलिटी) की समस्या पर कई ज्ञानपरक जानकारी दी। होमियोपैथी चिकित्सा में बांझपन का समुचित इलाज है। पति-पत्नी दोनों का साथ-साथ इलाज किया जाता है। डॉ. सुमाना पांडा ने कहा कि यदि उम ्रदराज लड़कियां अपनी सेहत व लाइफ-स्टाइल को लेकर जागरूक रहें तो बांझपन की समस्या को काफी हद तक दूर किया जा सकता है। उन्होंने शादी शुदा औरतों को लेकर कहा कि अपने वजन को नियंत्रित रखें। वजन 50 केजी से उपर नहीं जानें दें। खान-पान में देशी भोजन लें। फास्ट फूड-जंक फूड, होटल-रेस्तरां का खाना लेने से बचें। साथ ही 6-8 घंटा पूरी नींद लें। वह मानसिक तनाव से भी बचने की सलाह देती हैं। डॉ. सुमाना पांडा ने कहा कि 25-30 साल तक की उम्र में मां बनना सही माना गया है। वैसे 32-34 साल की उम्र में भी औरतें मां बनती हैं। उन्होंने मासिक रक्तस्त्राव को लेकर भी कई अच्छी जानकारी दी। जिसमें कहा कि मासिक धर्म शुरू होने के समय से ही इसके हर पहलु को लेकर जानकारी रखनी चाहिए। समस्या होने पर विशेषज्ञ से राय लेनी चाहिए।