चमकी बुखार को लेकर सितंबर तक रहें सजग, अब तक 8 बच्चे बीमार
गया। चमकी बुखार का नाम सुनते ही पिछले साल अनेक मासूम बच्चों की मौत पर रोते-बिलखते मां-बाप क
गया। चमकी बुखार का नाम सुनते ही पिछले साल अनेक मासूम बच्चों की मौत पर रोते-बिलखते मां-बाप का चेहरा उभर आता है। छोटे उम्र के बच्चों के लिए जानलेवा साबित होने वाला जेई-एईएस यानी चमकी बुखार इस बार गया जिले में काफी हद तक नियंत्रित दिख रहा है। स्वास्थ्य महकमा हर स्तर से चौकसी बरत रहा है। मगध मेडिकल अस्पताल से मिली जानकारी के मुताबिक गया में इस साल अभी तक 8 बच्चे एईएस से बीमार हुए। हालांकि ये सभी बच्चे स्वस्थ्य होकर अपने घर लौट चुके हैं। इस साल 11 मई को इमामगंज से 2 बीमार बच्चे पहली बार भर्ती हुए थे। वहीं सबसे आखिरी बीमार बच्चा अभी तक 26 तारीख को मानपुर क्षेत्र से मिला था। वह भी स्वस्थ्य हो गया है। गौरतलब है कि पिछले साल जुलाई माह में 65 मरीज चमकी बुखार से ग्रसित पाए गए थे। तब 15 बच्चे की मौत हुई थी। ----------
प्रखंड से लेकर पंचायत स्तर पर जागरूकता :
चमकी बुखार को लेकर पंचायत स्तर से प्रखंड स्तर तक जागरूकता किया गया है। जिला वेक्टर बोर्न डिजिज नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. एमई हक ने बताया कि हरेक प्रखंड में पोस्टर, बैनर, हैंडबिल दिया गया है। इसके साथ ही सभी पंचायतों में मुखियों के माध्यम से जागरूकता लाई गई है। बीमार बच्चों को अस्पताल तक लाने के लिए हरेक पंचायत में 2-2 गाड़ी दिया गया है। अधिकारी ने कहा कि अभिभावकों को सितंबर तक अधिक चौकसी बरतने की दरकार है। 15 डिग्री से. से नीचे तापमान आने पर इस बीमारी का खतरा कम हो जाता है।
---------- धान के खेत में जेई के एडिस बिस्नोई मच्छर के रहने की संभावना :
ऐसी मान्यता है कि धान की खेत में जेई के एडिस बिस्नोई मच्छर पनपते हैं। चूंकि अभी धान की खेती का समय है, लिहाजा जेई का खतरा अभी बरकरार है। लिहाजा, स्वास्थ्य महकमा ने ग्रामीण क्षेत्र के सभी अभिभावकों से बीमारी को लेकर सतर्कता बरतने को कहा है। खांसी, बुखार आदि की शिकायत पर बच्चे को तुरंत नजदीकी अस्पताल लाकर इलाज कराने की सलाह दी।