सूचना प्रौद्योगिकी को अपनाने से प्राध्यापकों की बनी रहेगा प्रासंगिकता
फोटो 45 -शॉर्ट कट तरीका अपनाने से नुकसान समन्वय से ज्ञान रुचि पूर्ण और समसामयिक के साथ इसकी नवीनता और आकर्षण रहता है विद्यमान ------- संवाद सहयोगी टिकारी
गया । दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय में आयोजित फैकल्टी इंडक्शन ट्रेनिंग प्रोग्राम के 19 वें दिन बुधवार को विषय विशेषज्ञ जामिया मिलिया इस्लामिया विश्रि्वद्यालय के स्कूल ऑफ एजुकेशन के प्रो. अनीता रस्तोगी ने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी के नित्य नवीन विस्तार को अंगीकार करने से ही प्राध्यापकों की प्रासंगिकता बनी रहेगी। प्राध्यापकों को भविष्य में भी अपनी प्रासंगिकता बनाए रखने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी के साथ कदम से कदम मिलाकर चलना होगा। 21 वीं सदी के प्राध्यापकों को अपना बेहतर प्रदर्शन करने हेतु संप्रेषण, सहयोगात्मकता, क्रियात्मकता और आलोचनात्मक सोच इन चारों का समायोजन करना आवश्यक है। इनके समन्वय से ज्ञान रुचि पूर्ण और समसामयिक के साथ इसकी नवीनता और आकर्षण विद्यमान रहता है।
विषय विशेषज्ञ के रूप में मोतीलाल नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी इलाहाबाद के प्रो. पीयूष रंजन अग्रवाल ने कहाकि जब शिक्षा प्रदान करने में वर्तमान जैसी सुविधाएं नहीं थी, तब भारत के लोगों का भाषा, गणित और व्याकरण जैसे कठिन विषयों पर भी अधिकार रहता था। यहा के विद्यार्थी इन तीनों विषय में मजबूत हुआ करते थे। वर्तमान शिक्षा प्रणाली में उपकरणों के प्रवेश ने इसके परिस्थितियों में बदलाव किया है। वर्तमान में स्मृति क्षमता और मानसिक स्तर पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। हर शिक्षार्थी समय, श्रम और संसाधन को बचाने के लिए शॉर्ट कट तरीका अपनाते हैं। इससे उसकी मानसिकता प्रभावित होती है। उन्होंने कहा कि भारत की मजबूती में सामाजिक आर्थिक संस्कृति की महती भूमिका थी। वर्तमान शिक्षा में भी सामाजिक संस्कृति को बरकरार रखकर ही हम उन्नत भारत की कल्पना कर सकते हैं। इस अवसर पर कोर्स कोऑर्डिनेटर सह शिक्षा पीठ के अधिष्ठाता प्रो. कौशल किशोर ने दोनों विषय विशेषज्ञों का स्वागत किया। कार्यक्रम का संयोजन सह समन्वयिका डॉ. रिंकी ने किया।
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