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गया में आतंकी को पकडऩे वाले युवक का चला गया रोजगार, भुखमरी की स्थिति

गया के साइबर कैफे संचालक अनुराग ने अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट के मुख्य आरोपी आतंकी तौसीफ पठान को गिरफ्तार कराया था। लेकिन, इसके बाद से वह परेशान है। जानिए मामला।

By Ravi RanjanEdited By: Published: Thu, 22 Mar 2018 08:27 AM (IST)Updated: Thu, 22 Mar 2018 06:48 PM (IST)
गया में आतंकी को पकडऩे वाले युवक का चला गया रोजगार, भुखमरी की स्थिति
गया में आतंकी को पकडऩे वाले युवक का चला गया रोजगार, भुखमरी की स्थिति

पटना [राजीव रंजन]। अपनी जान की बाजी लगाकर वर्ष 2008 में अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट के मुख्य आरोपी आतंकी तौसीफ पठान उर्फ तौफीक खान उर्फ अतीक को दबोचने वाले गया के साइबर कैफे संचालक अनुराग बसु अब गहरे संकट हैं। परिवार समेत उनके सामने भुखमरी की स्थिति आ गई है। ऊपर से बिहार सरकार ने बहादुरी के लिए सिर्फ 3500 रुपये का इनाम देकर जले पर नमक छिड़कने की कोशिश की है।

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अब गया और पटना का चक्कर लगाता है

मार्शल आर्ट में ब्लैक बेल्ट हासिल कर चुके अनुराग बसु इन दिनों अपनी रोजी-रोटी और घर-परिवार के जरूरतों की पूर्ति के लिए गया और राजधानी पटना का चक्कर लगाते रहते हैं। प्रधानमंत्री कार्यालय ने इस साहसी युवक को हर तरह की आर्थिक मदद करने तथा उनके परिवार को पर्याप्त सुरक्षा उपलब्ध कराने की अनुशंसा बिहार सरकार से कर रखी है। बिहार के अधिकारियों के पास इतनी भी फुरसत नहीं कि पांच लाख के इनामी आतंकी को पकड़कर बिहार पुलिस, बिहार एटीएस और एनआइए के सुपुर्द करने वाले इस युवक और उसके परिवार की खोज-खबर लें।

अच्छी चलती थी दुकान, अब ताला लटका है

38 वर्षीय अनुराग बसु ने बताया कि रोजी-रोटी के लिए उन्होंने गया के सिविल लाइन थानाक्षेत्र के राजेंद्र आश्रम में विष्णु साइबर कैफे नाम की दुकान खोली थी। दुकान अच्छी चलती थी और चार अन्य लोग भी काम करते थे। पिछले साल 13 सितंबर को उन्होंने इंडियन मुजाहिदीन के फरार आतंकी तौसीफ खान को पकड़कर पुलिस के सुपुर्द किया। उसके बाद , दुकान पर काम करने वाले चारों लोगों ने नौकरी छोड़ दी।

जांच-पड़ताल और पुलिस के चक्कर में दुकान बंद हो गई। किराए का भुगतान पिछले कई महीनों से नहीं हो सका है। मकान मालिक दुकान खाली कराने का दबाव दे रहे। यही हाल उसके किराए के रिहायशी मकान का भी है। बच्चे के स्कूल की फीस नहीं दी जा पा रही।

अनुराग बताता है कि तौसीफ के साथ गया के कुछ स्थानीय स्लीपर सेल के सदस्यों के पकड़े जाने के बाद न खुद और परिवार पर खतरे की आशंका है। अनुराग 'दैनिक जागरण' से कहते हैं कि मैंने इस आतंकी को किसी इनाम हासिल करने के लिए नहीं पकड़ा था। यह तो मेरा फर्ज था। अब इसकी वजह से रोजी-रोटी का संकट है और परिवार के सदस्यों की जान पर खतरा मंडरा रहा।


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