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थाईलैंड के बौद्ध भिक्षुओं ने भादो मास के अमावस्या पर किया दीपदान, जगमग हुआ महाबोधि मंदिर

थाईलैंड के बौद्ध भिक्षुओं ने विश्वदाय धरोहर महाबोधि मंदिर में विश्व शांति व कोरोना संक्रमण से मुक्ति के लिए सामूहिक प्रार्थना की। महाबोधि मंदिर के बाहर लाल पेडेस्टल पर हजारों दीप प्रज्वलित किया। दीपों की जगमगाहट पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बना रहा।

By Sumita JaiswalEdited By: Published: Tue, 07 Sep 2021 03:02 PM (IST)Updated: Tue, 07 Sep 2021 03:02 PM (IST)
थाईलैंड के बौद्ध भिक्षुओं ने भादो मास के अमावस्या पर किया दीपदान, जगमग हुआ महाबोधि मंदिर
बौद्ध भिक्षु दीप प्रज्‍ज्‍विलत करते हुए, जागरण फोटो।

बोधगया, जागरण संवाददाता। भादो मास की अमावस्या तिथि पर थाईलैंड के बौद्ध भिक्षुओं ने विश्वदाय धरोहर महाबोधि मंदिर में विश्व शांति व कोरोना संक्रमण से मुक्ति के लिए सामूहिक प्रार्थना किया। उसके बाद महाबोधि मंदिर के बाहर लाल पेडेस्टल पर हजारों दीप प्रज्ज्‍वलित किया। बौद्ध भिक्षुओं द्वारा जलाए गए हजारों दीप आए पर्यटकों के बीच आकर्षण का केंद्र बना हुआ था। क्योंकि बौद्ध भिक्षुओं ने जलाए गए दीप को आकर्षक ढंग से रंगोली की भांति सजाया था। वही अमावस्या की शाम महाबोधि मंदिर के गुंबद तक बिखेर रहे अत्याधुनिक प्रकाश और नीचे जलाए गए हजारों दीप को देख पर्यटक काफी आकर्षित हो रहे थे।

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विशेष पूजा अर्चना और दीप पूजन का कार्य भूरीपालो बौद्ध मोनास्ट्री के बौद्ध भिक्षुओं द्वारा किया गया था। भूरिपालो मिनिस्ट्री के बौद्ध भिक्षुओं ने पहले महाबोधि मंदिर के सामने दीप प्रज्ज्‍वलित किए और उसके बाद अपने मोनेस्ट्री में भी भव्य तरीके से दीप जलाकर सजाएं। इन दिनों बौद्ध भिक्षुओं का त्रैमासिक वर्षावास काल चल रहा है। जो भिक्षु वर्षावास काल व्यतीत कर रहे है, वो एक ही जगह पर रहकर अपना समय पूजा पाठ व ध्‍यान साधना में व्यतीत कर रहे हैं। लेकिन मोनास्ट्री के अन्य भिक्षुओं द्वारा ऐसे कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं।

हालांकि उक्त मॉनेस्ट्री के बौद्ध भिक्षुओं द्वारा विशेष पूजा अर्चनाऔर दीप प्रज्वलन कर आकर्षक ढंग से सजाया जाने की सूचना महाबोधि मंदिर प्रबंधन समिति को नहीं थी। समिति के भिक्षु प्रभारी भंते चलिन्दा ने कहा कि इस बात की हमें कोई जानकारी नहीं है और ना ही इसके लिए प्रबंधन समिति से कोई अनुमति ली गई थी। हालांकि स्थानीय लोग इतने बड़े कार्यक्रम के आयोजन और बीटीएमसी को सूचना नहीं होने पर कई सवाल खड़े कर रहे हैं। बता दें कि महाबोधि मंदिर परिसर के अंदर और आसपास में तैलीय दीप जलाए जाने  पर पुरातत्व विभाग द्वारा प्रतिबंध लगाया गया है। बावजूद इसके महाबोधि मंदिर से सटे लाल पेडेस्टल पर हजारों की संख्या में दीप जलाया गया और इसकी भनक प्रबंधन समिति और पुरातत्व विभाग को नहीं लगी।


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