बुद्ध की शिक्षा भिक्षु-भिक्षुणियों के लिए अनुकरणीय
गया। महाबोधि सोसाइटी ऑफ इंडिया शाखा बोधगया में आयोजित दो दिवसीय वैश्विक सम्मेलन गुरुव
गया। महाबोधि सोसाइटी ऑफ इंडिया शाखा बोधगया में आयोजित दो दिवसीय वैश्विक सम्मेलन गुरुवार को संपन्न हुआ। 'बौद्ध धर्म एवं नारी विमुक्तिकरण' विषय पर आयोजित इस सम्मेलन के समापन सत्र को प्रमंडलीय आयुक्त टीएन विंदेश्वरी, बीटीएमसी सचिव एन. दोरजे, सोसाइटी के महासचिव भंते पी सिवली थेरो, भिक्षुणी धम्मानंद व प्रो. संघसेन सिंह ने संबोधित किया। वक्ताओं ने कहा कि भगवान बुद्ध द्वारा बताए गए विनय (नियम) भिक्षु व भिक्षुणियों दोनों के लिए अनुकरणीय है। भगवान बुद्ध ने अपने उपदेश में कहा है कि भिक्षु व भिक्षुणियों को समाज को सदाचारी बनाना है। धर्म का प्रचार-प्रसार करना है। ऐसी परिस्थिति में काल, पात्र और परिस्थिति के अनुसार नियम में बदलाव संभव है। मूल नियम यथा आचरण व चरित्र संबंधी सर्वकालिक है। पालन करने वाले नियमों में लचीलापन होना जरूरी है। वर्तमान परिवेश में महिलाओं को स्वयं सशक्त होना होगा। अपने मन में शोषण का भाव नहीं रखें। वक्ताओं ने सोसाइटी द्वारा गतेक वर्ष से आयोजित ऐसे साहित्यिक व धार्मिक सम्मेलन की प्रशंसा की। सम्मेलन समापन सत्र से पहले तीन सत्र का संचालन किया गया। हरेक सत्र में चार-चार विद्वानों ने अपने-अपने पेपर पढ़े। जिस पर चर्चा की गई।