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मिनरल वाटर के नाम पर काला कारोबार, बगैर निबंधन कराए शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में चल रहीं कंपनियां

Black Marketing पहाड़ी क्षेत्रों के अलावा मैदानी क्षेत्रों में भी तापमान बढ़ते पानी की समस्या लोगों को परेशान करने लगी है। वहीं फिल्टर पानी के नाम पर पानी का काला कारोबार करने वाले पानी बेचकर अपनी जेबें भर रहे हैं।

By Prashant KumarEdited By: Published: Mon, 17 May 2021 07:53 AM (IST)Updated: Mon, 17 May 2021 07:53 AM (IST)
मिनरल वाटर के नाम पर काला कारोबार, बगैर निबंधन कराए शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में चल रहीं कंपनियां
नगर में वाहन के माध्यम से फिल्टर पानी की हो रही आपूर्ति। जागरण।

जागरण संवाददाता, भभुआ। जिले के पहाड़ी क्षेत्रों में गर्मी शुरू होते ही जल स्तर खिसकने लगा है, जिसे पेयजल की समस्या लोगों के सामने खड़ी हो रही है। पहाड़ी क्षेत्रों के अलावा मैदानी क्षेत्रों में भी तापमान बढ़ते पानी की समस्या लोगों को परेशान करने लगी है। वहीं फिल्टर पानी के नाम पर पानी का काला कारोबार करने वाले पानी बेचकर अपनी जेबें भर रहे हैं। सबसे बड़ी विडंबना तो यह है जिला मुख्यालय सहित ग्रामीण क्षेत्रों में संचालित पानी प्लांट लगाने वाले अधिकांश संचालकों ने निबंधन नहीं करा सरकार को लाखों रुपए का चूना लगा रहे हैं।

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गौरतलब हो कि जिला मुख्यालय से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक पानी का काला कारोबार शुरू है। इस मामले में प्रशासन भी अनजान बना हुआ है। दर्जनों फिल्टर पानी बेचने के प्लांट जिले में लगाए गए हैं। मिली जानकारी के अनुसार संचालित पानी प्लांटों के संचालकों द्वारा निबंधन तक नहीं कराया गया है। पानी की गुणवत्ता सेहत के लिए अच्छी है अथवा नहीं इसके लिए कोई मापदंड नहीं है, इसके अलावा निगरानी को लेकर जिला प्रशासन द्वारा कोई पहल नहीं की जाती है।

शुद्ध पानी के नाम पर सभी लोग फिल्टर पानी  का प्रयोग कर रहे हैं जिला प्रशासन के विभिन्न कार्यालयों में भी फिल्टर पानी का उपयोग किया जाता है। फिल्टर पानी के इस कारोबार में पानी की जमकर बर्बादी भी होती है। बूंद बूंद पानी बचाने के लिए सरकार की ओर से विभिन्न कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं, लोगों को जागरूक करने का भी काम किया जा रहा है। जल जीवन हरियाली कार्यक्रम के अंतर्गत जल संचयन के लिए लोगों को जागरूक करने के साथ-साथ करोड़ रुपए की राशि भी खर्च की जा रही है। वहीं दूसरी तरफ  फिल्टर पानी के प्लांट में पानी को फिल्टर करने में काफी पानी बर्बाद किया जाता है।

बताया जाता है कि एक लीटर पानी को फिल्टर करने में पांच  लीटर से अधिक पानी की बर्बादी होती है जिला मुख्यालय भभुआ नगर में करीब दो  दर्जन से अधिक फिल्टर पानी के प्लांट लगे हुए हैं । पानी का काला  कारोबार करने वाले विभिन्न वाहनों के माध्यम से 200 से लेकर 400 डिब्बा तक प्रतिदिन पानी की सप्लाई घरों व कार्यालयों में कर मोटी रकम कमा रहे हैं।

फिल्टर पानी का उपयोग शादी विवाह समारोह में भी बड़े पैमाने पर किया जाता है यह पानी ₹20 प्रति डिब्बा के हिसाब से संचालक उपलब्ध कराते हैं एक डब्बे में 15 से 20 लीटर पानी रहता है। जानकारों का कहना है कि फिल्टर पानी का टीडीएस मशीन से नाप कर ग्राहकों को दिखाया जाता है। सौ टीडीएस से नीचे का पानी रहने पर उसे बेहतर माना जाता है, जबकि सामान्य तौर पर बोरिंग के पानी का टीडीएस 300 से लेकर 800 तक रहता है। जो स्वास्थ्य के लिए उपयोगी नहीं माना गया है।


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