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Bihar Pitrupaksha 2021: वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ फल्‍गु के तट पर उत्तर मानस में किया कर्मकांड

अगर श्राद्ध का महाकुंभ कहीं नजर आता है तो वह है गयाधाम। यह वही स्थान है जहां लोग दूरदराज से अपने पूर्वजों का श्राद्ध करने प्रत्येक पितृपक्ष में आते हैं। यहां आकर अपने पितरों के मोक्ष की कामना को लेकर पिंडदान और तर्पण करते हैं।

By Prashant KumarEdited By: Published: Wed, 22 Sep 2021 04:07 PM (IST)Updated: Wed, 22 Sep 2021 04:07 PM (IST)
Bihar Pitrupaksha 2021: वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ फल्‍गु के तट पर उत्तर मानस में किया कर्मकांड
उत्तर मानस पिंडवेदी कर्मकांड करते पिंडदानी। जागरण।

जागरण संवाददाता, गया। अगर श्राद्ध का महाकुंभ कहीं नजर आता है तो वह है गयाधाम। यह वही स्थान है, जहां लोग दूरदराज से अपने पूर्वजों का श्राद्ध करने प्रत्येक पितृपक्ष में आते हैं। यहां आकर अपने पितरों के मोक्ष की कामना को लेकर पिंडदान और तर्पण करते हैं। पितृपक्ष के तीसरे दिन बुधवार को उत्तर मानस सरोवर पर पिंडदानियों ने वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ कर्मकांड एवं तर्पण किया। सूर्य उदय के साथ ही उत्तर मानस सरोवर में पिंडदानियों आने लगे। देखते-देखते पूरा सरोवर परिसर पिंडदानियों भर गए।

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कर्मकांड को लेकर पिंडदानी अपने साथ जौ का आटा, चावल, तिल, फल, दूध, घी, पीतल का बर्तन, वस्त्र आदि सामग्री के साथ पहुंचे। यहां सरोवर के पवित्र जल में तर्पण कर कर्मकांड की विधि प्रारंभ किया। पिंडदानी सरोवर के तट पर बने शेड में बैठक कर भी कर्मकांड कर रहे थे। इसके अलावा फल्गु नदी के किनारे भी पिंडदान कर रहे थे। पुरोहितों द्वारा मंत्रोच्चारण के साथ कर्मकांड की विधि संपन्न कराई जा रही है। पूर्वजों की तस्वीर आगे रखकर पिंडदानी कर्मकांड कर रहे हैं। कर्मकांड की विधि संपन्न होने के बाद पिंड को पवित्र सरोवर के जल में प्रवाह कर रहे थे।

वहीं, सरोवर में अधिक पानी को देखते हुए जिला प्रशासन द्वारा सुरक्षा का व्यापक प्रबंध किया गया है। सरोवर में कई पुलिस बल तैनात थे। जो बार-बार पिंडदानियों को अधिक पानी में नहीं जाने का चेतावनी दे रहे थे। वहीं उपस्थित पदाधिकारियों द्वारा पिंडदानियों को सूचित किया जा रहा था कि सरोवर के गहरे पानी में नहीं जाएं। सरोवर में पानी अधिक है। पुलिस बल पिंडदानियों को तर्पण करने में सहयोग कर रहे थे। साथ ही सीढिय़ों के अलावा सरोवर में नहीं जाने के लिए चेतावनी बोर्ड भी लगाए गए हैं। इसके अलावा उदीची, जिव्हालोल एवं सूर्यकुंड में भी पिंडदानी कर्मकांड कर रहे थे। सूर्यकुंड के सीढिय़ों पर बैठ कर पिंडदानी अपने पितरों की मोक्ष के लिए कर्मकांड कर रहे थे।


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