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Bihar PitruPaksha 2021: सोन नदी में पितरों का तर्पण करने को डेहरी में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़

सोन तट पर आज भी भारी संख्या में लोगों ने विश्व विश्रुत महानद तट पर अपने पितरों को याद करके तर्पण किया। पितृपक्ष का प्रारंभ 20 सितंबर से हुआ जो 6 अक्टूबर तक रहेगा। इस बार पितृपक्ष 17 दिन का होगा।

By Prashant KumarEdited By: Published: Sun, 26 Sep 2021 01:22 PM (IST)Updated: Sun, 26 Sep 2021 01:22 PM (IST)
Bihar PitruPaksha 2021: सोन नदी में पितरों का तर्पण करने को डेहरी में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़
सोन नदी के तट पर पितरों का तर्पण करते श्रद्धालु। जागरण।

संवाद सहयोगी, डेहरी ऑनसोन (सासाराम)। एनीकट स्थित सोन तट पर आरोग्य व सौभाग्य के लिए पितृपक्ष के अश्विन कृष्ण पक्ष के सातवें दिन रविवार को कुलो की विष्णुलोक प्राप्ति के लिए श्राद्ध व तर्पण को भारी संख्या में लोग जुटे। पितरों को विष्णुलोक प्राप्ति की प्रार्थना की गई। सोन तट पर आज भी भारी संख्या में लोगों ने विश्व विश्रुत महानद तट पर अपने पितरों को याद करके तर्पण किया। पितृपक्ष का प्रारंभ 20 सितंबर से हुआ, जो 6 अक्टूबर तक रहेगा। इस बार पितृपक्ष 17 दिन का होगा। इस दौरान पितरों को श्राद्ध और तर्पण किया जाएगा। पितृपक्ष के सातवें दिन आज भारी संख्या में लोग जुटे।

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नगर परोहित पंडित सत्यनारायण मिश्र  के अनुसार, पितृपक्ष में पूर्वजों को श्राद्ध और तर्पण किया जाता है। इस दौरान सभी पितृ इस लोक में रहने वाले अपने सगे संबंधियों के यहां बिना आह्वान किए पहुंचते हैं। वे अपने सगे संबंधियों द्वारा प्रदान किए गए तर्पण से तृप्त होकर आशीर्वाद देते हैं। इसके फलस्वरूप वे अनेक सुखों को प्राप्त करते हैं। मान्यता के अनुसार, पितृ संबंधी कार्य करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। पितृपक्ष में मृत्यु की तिथि के अनुसार, पितरों को तर्पण किया जाता है। उन्होंने बताया कि जो कोई अन्य तिथि पर श्राद्ध नहीं कर पाते तो अमावस्या को कर सकते हैं।

मालूम हो कि हर साल पितृपक्ष के मौके पर गया में राज्‍य सरकार की ओर से भव्‍य मेले का आयोजन किया जाता रहा है। लेकिन, कोरोना संक्रमण काल में बिहार सरकार ने इस आयोजन पर रोक लगा दी। दो साल से मेले का आयोजन नहीं किया जा रहा है। बिहार के उद्योग मंत्री सह गया जिला प्रभारी मंत्री सैयद शाहनवाज हुसैन ने पुष्टि की कि सरकार अपने स्‍तर से मेले का आयोजन नहीं करेगी। मगर पिंडदान के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को हरसंभव सहायता मुहैया कराई जाएगी। पितृपक्ष की शुरुआत से ही गया में पिंडादानियों का मेला लगने लगा।


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