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जहरीले को करें बाय-बाय, ग्रीन पटाखे से मनाएं दिवाली

सुखद -वातावरण स्वछ रहने के साथ ही आप भी रहेंगे स्वस्थ -अभी तक बाजार में 50 फीसद ग्रीन पटाखे ही उपलब्ध ------------- जागरण संवाददाता गया

By JagranEdited By: Published: Sun, 13 Oct 2019 06:52 PM (IST)Updated: Sun, 13 Oct 2019 06:52 PM (IST)
जहरीले को करें बाय-बाय, ग्रीन पटाखे से मनाएं दिवाली
जहरीले को करें बाय-बाय, ग्रीन पटाखे से मनाएं दिवाली

गया । दिवाली रंग-बिरंगे दीये, मिठाइया और पटाखे का त्योहार है। सब कुछ हो और पटाखे न हों तो अधूरा सा लगता है। तो क्यों न इस बार हवा में जहर घोलने वाले पटाखे को अलविदा कर ग्रीन पटाखे का इस्तेमाल करें। इससे वातावरण स्वच्छ रहने के साथ ही स्वस्थ भी रहेंगे और धूमधड़ाका भी होगा।

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प्रदूषण को रोकने के लिए सर्वोच्च न्यायालय ने आम पटाखे फोड़ने पर रोक लगा रखी है। ग्रीन पटाखे इस्तेमाल करने को कहा गया है। बाजार में अभी तक मात्र 50 फीसदी ही ग्रीन पटाखे आए हैं। लोगों की पहली पसंद ग्रीन पटाखे ही होंगे। बिल्कुल कम आवाज के साथ वातावरण भी स्वच्छ रहेगा।

शहर के केपी रोड स्थित पटाखे के थोक विक्रेता मो. शमीम का कहना है कि पटाखे तमिलनाडु के शिवकाशी से मंगाए जाते हैं। इसमें फुलझड़ी, अनार एवं चरखी ग्रीन पटाखे शामिल हैं। आवाज वाले पटाखे अभी ग्रीन नहीं है। फिर भी बाजार में बिक्री हो रही है।

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प्रतिबंध का असर नहीं

आम पटाखे की बिक्री पर पूरी तरह से सर्वोच्च न्यायालय ने प्रतिबंध लगा रखा है। बावजूद इसके धड़ल्ले से बिक्री हो रही है। दीवाली पर्व पर शहर में कई अस्थायी रूप से दुकानों खुल जाती हैं। इसमें ग्रीन पटाखे नाममात्र ही रहते हैं।

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बिक्री में नियमों की अनदेखी

शहर में पटाखे की बिक्री में नियमों की अनदेखी की जा रही है। बिना मानक के पटाखे की बिक्री हो रही है। विस्फोटक अधिनियम के तहत जिलाधिकारी से बिक्री का निर्देश लेना अनिवार्य होता है। उसके बाद स्थल की जांच अग्निशमन विभाग द्वारा करने बाद एनओसी निर्गत होने पर पटाखे की बिक्री कर सकते हैं। लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। नियम को ताक पर रखकर शहर में पटाखे की बिक्री खुलकर हो रही है।

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बिना एनओसी लिए ही शहर

में चल रही कई दुकानें

शहर में पटाखे की कई दुकानें हैं। ये अग्निशमन विभाग से बिना एनओसी लिए ही चल रही हैं। अग्निशमन विभाग के फायर अधिकारी अरविंद प्रसाद ने कहा कि शहर में एक भी पटाखे की दुकान का एनओसी नहीं लिया गया है। बिना एनओसी दुकानें चल रही हैं। जिलाधिकारी के निर्देश में दुकानों की जांच करने के लिए एक टीम का गठन किया गया है, जो शनिवार से सक्रिय है। ऐसे में सवाल उठता है कि बिना एनओसी पटाखे की दुकानें इतने वर्षो से घनी आबादी क्षेत्र में कैसे चल रही है? अगर किसी तरह से घटना होती है तो इसके लिए कौन जिम्मेदार होगा।


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