Aurangabad News: अंबा के छोटे से गांव में 30 किसानों ने शुरू की एग्जोटिक फ्रूट स्ट्राबेरी की खेती
30 किसानों ने 30 एकड़ भूमि में एग्जोटिक फ्रूट स्ट्राबेरी कि खेती शुरू की है। किसानों ने आदर्श ग्राम चिल्हकी बिगहा स्ट्राबेरी समूह बनाकर महाराष्ट्र के पुणे से पौधा मंगाया है। अगर मौसम अनुकूल रहा तो छह लाख के लागत में तकरीबन 12 लाख रुपये आमदनी होने की उम्मीद है।
अंबा (औरंगाबाद), संवाद सूत्र। बिहार के औरंगाबाद जिले के अंबा प्रखंड का छोटा सा गांव चिल्हकी बिगहा एग्जोटिक फ्रूट्स स्ट्राबेरी की खेती के कारण सुर्खियों में रहा है। यहां के स्ट्राबेरी की मांग बिहार के अलावा देश के अन्य प्रदेशों में है। ऐसे तो चिल्हकी बिगहा गांव के बृजकिशोर मेहता ने वर्ष 2013 में प्रयोग के रूप स्ट्राबेरी की खेती शुरू की थी। मगर उन्हें 2014 में सफलता हासिल हुई, इसके बाद धीरे-धीरे स्ट्राबेरी की खेती का प्रचलन बढ़ता गया। इधर वर्ष 2019 में सूबे के सीएम नीतीश कुमार से लेकर आला अधिकारी फसल को देखने आए थे। इसे देखते हुए स्थानीय किसानों ने 30 एकड़ भूमि में व्यापक पैमाने पर एग्जोटिक फ्रूट स्ट्राबेरी कि खेती शुरू की है। किसानों ने आदर्श ग्राम चिल्हकी बिगहा स्ट्राबेरी समूह बनाकर महाराष्ट्र के पुणे से पौधा मंगाया है। बताया जाता है कि पूर्व उत्पादक बृजकिशोर मेहता, वीरेंद्र मेहता, रघुपत मेहता व धनंजय मेहता के साथ-साथ नये किसान मनोज मेहता, जनेश्वर मेहता, विजय मेहता एवं धर्मेन्द्र मेहता सहित 30 लोग स्ट्राबेरी की फसल लगा रहें हैं।
प्रति एकड़ छह लाख रुपये हैं खर्च
वैसे तो स्ट्राबेरी की डिमांड दिन दिन- प्रतिदिन बढ़ रही है। उत्पादकों के अनुसार खेत की तैयारी, एसी कंटेनर से पौधा मंगाने व लगाने से लेकर ड्रीप एरिगेशन की व्यवस्था करने में प्रति एकड़ छह लाख रुपये खर्च पड़ रहें है। उत्पादक श्री मेहता ने बताया प्रति एकड़ 15 हजार पौधा के लगाया जाता है, अगर सब कुछ ठीक ठाक रहा तो 20 नवंबर के पहले पौधों से फल निकलने लगेगें। बताया कि बाजार में स्ट्राबेरी की बिक्री 400 से 600 रुपये किलो तक होती है। कुशल किसान बीके मेहता ने बताया कि अगर मौसम अनुकूल रहा तो छह लाख के लागत में तकरीबन 12 लाख रुपये आमदनी होने की उम्मीद है।
क्या कहते हैं अधिकारी
जिला उद्यान पदाधिकारी जीतेंद्र कुमार ने बताया कि एग्जोटिक फ्रूट की खेती को बढ़ावा देने हेतु सरकार हर संभव प्रयास कर रही है। स्ट्राबेरी किसानों के लिए आय का जरिया साबित हो रहा है। कम जमीन वाले किसान भी फसल लगाकर अच्छी कमाई कर सकते हैं। बताया कि उत्पादकों को प्रति हेक्टेयर 50 हजार रुपये अनुदान का प्रावधान है।