वैदिक संस्कृति दिखाती है आंतरिक शक्ति की राह
शिमला से आए स्वामी ओंकारानंद सरस्वती ने शुक्रवार को डीएवी कैंट में बच्चों को वैदिक सिखाया गया।
गया। शिमला से आए स्वामी ओंकारानंद सरस्वती ने शुक्रवार को डीएवी कैंट में बच्चों को वैदिक संस्कृति का पाठ पढ़ाया।
स्कूल के क्षेत्रीय निदेशक टीपी पति के निर्देशन में स्विच ऑफ लेक्चर माइंड कंट्रोल ट्रेनिंग प्रोग्राम का आयोजन किया गया था। स्वामी ओंकारानंद ने कहा कि आर्य समाज के संस्थापक महर्षि दयानंद ने कहा था-आर्य बनाओ यानी श्रेष्ठ बनाओ। स्वामी विवेकानंद ने इसे ही कहा था, मनुष्य बनो। आज धन कमाने की विद्या पर ही एकाग्रता अशांति का कारण है। राजकुमार सिद्धार्थ आतरिक ज्ञान एवं प्रज्ञा को जगाकर ही भगवान बुद्ध कहलाए। अपने अंदर की इसी शक्ति को जागृत करने की जरूरत है। आचरण के मामले में भारत विश्वगुरु रहा है, पर आज के दौर में हम अतीत के गौरव को भूल रहे हैं। इसलिए भारत की आर्य संस्कृति, वैदिक परंपरा का प्रचार-प्रसार करने की जरूरत है। डीएवी के प्रेसिडेंट पूनम सूरी और उनकी टीम इस दिशा में प्रयासरत है। स्वामी ओंकारानंद ने बताया कि किस तरह गायत्री मंत्र के साथ आंतरिक प्रज्ञा को जगाया जाए। डीएवी कैंट एवं डीएवी अशोक नगर में यह कार्यशाला हो चुकी है। दोनों स्कूल के प्राचार्य ने उनका धन्यवाद ज्ञापन किया।