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मगध प्रमंडल में लगाए जाएंगे 60 लाख पौधे, बचाने की जिम्मेदारी वन पोषकों की

इस बार मगध प्रमंडल में 60 लाख पौधे लगाए जाएंगे। उनमें से 18 लाख पौधे गया जिला में लगाए जाएंगे। पौधों को बचाने की जिम्मेदारी वन पोषकों की होगी। 80 फीसद पौधा बचे रहने पर ही वन पोषक को मानदेय का भुगतान होगा। अगर 70 फीसद से कम पौधे जीवित बचे तो उन्हें काम से हटा दिया जाएगा। जाहिर है कि नौकरी में बने रहने के लिए देखरेख हेतु मिले 70 फीसद पौधों को बचाए रखना जरूरी है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 02 Aug 2019 01:57 AM (IST)Updated: Fri, 02 Aug 2019 06:37 AM (IST)
मगध प्रमंडल में लगाए जाएंगे 60 लाख पौधे, बचाने की जिम्मेदारी वन पोषकों की
मगध प्रमंडल में लगाए जाएंगे 60 लाख पौधे, बचाने की जिम्मेदारी वन पोषकों की

इस बार मगध प्रमंडल में 60 लाख पौधे लगाए जाएंगे। उनमें से 18 लाख पौधे गया जिला में लगाए जाएंगे। पौधों को बचाने की जिम्मेदारी वन पोषकों की होगी। 80 फीसद पौधा बचे रहने पर ही वन पोषक को मानदेय का भुगतान होगा। अगर 70 फीसद से कम पौधे जीवित बचे तो उन्हें काम से हटा दिया जाएगा। जाहिर है कि नौकरी में बने रहने के लिए देखरेख हेतु मिले 70 फीसद पौधों को बचाए रखना जरूरी है। कमिश्नर पंकज कुमार पाल के इस फरमान के बाद वन विभाग में एक खलबली-सी है। गुरुवार को वन महोत्सव का शुभारंभ करते हुए उन्होंने स्पष्ट कहा कि पौधे इसलिए नहीं बचते, क्योंकि उनकी देखरेख में कोताही होती है। इस बार ऐसा नहीं चलेगा। वन पोषकों को जिम्मेदारी समझनी ही नहीं होगी। अगर वे कोताही करेंगे तो खामियाजा भी उन्हें ही भुगतना होगा। समारोह का आयोजन अनुग्रह मेमोरियल कॉलेज में वन विभाग द्वारा किया गया था। मौजूदा स्थिति और भविष्य का लक्ष्य: पौधारोपण के बाद कमिश्नर ने समारोह को संबोधित किया। बताया कि 2022 तक मगध प्रमंडल में 29 प्रतिशत वन (हरित) क्षेत्र होगा। वन विभाग ने इसकी योजना बनाई है। अभी यह 17 फीसद है। संतोष की बात महज इतना कि बिहार में अभी महज 16.8 प्रतिशत वन क्षेत्र है, जिसे 2022 तक 19 फीसद करने का लक्ष्य है। देश में अभी 23.8 प्रतिशत वन क्षेत्र है, जबकि पर्यावरण संतुलन के लिए कम से कम 33 फीसद भूभाग में वन परिक्षेत्र होना चाहिए। हर आदमी लगाए एक पौधा: जिलाधिकारी अभिषेक सिंह ने कहा कि गया जिला की जनसंख्या तकरीबन 52 लाख है। अगर हर आदमी एक पौधा लगा दे और उसे बचा ले तो स्थिति सुधर जाएगी। अगर हर साल एक आदमी एक पौधा लगाए और वृक्ष बनने तक उसका संरक्षण करे तो आकलन करिए कि पर्यावरण कितना बेहतर होगा। अगर ऐसा होता तो जिले में लू से मौत नहीं हुई होती। प्रकृतिजन्य यह विपदा पर्यावरण की अनदेखी का परिणाम है। जल संचयन का आग्रह: गया जिला में मनरेगा के तहत दस लाख और वन विभाग के मार्फत आठ लाख पौधे लगाए जाएंगे। जिलाधिकारी ने गया के लिए जल संचयन (वाटर हार्वेस्टिंग) को बेहद जरूरी बताया। इसके लिए उन्होंने घरों में वाटर हार्वेस्टिंग पर जोर दिया। इससे भूजल का स्तर सुधरेगा, जिसमें अभी साल-दर-साल गिरावट दर्ज की जा रही है। कहा कि अगर यह व्यवस्था नहीं हुई तो गया को आने वाले वर्षो में भीषण जलसंकट से जूझना पड़ेगा। समारोह में में जिला वन पदाधिकारी अभिषेक कुमार, उप विकास आयुक्त किशोरी चौधरी, नगर पुलिस अधीक्षक मंजीत, नगर आयुक्त सावन कुमार, अनुग्रह मेमोरियल कॉलेज के प्राचार्य शैलेश कुमार श्रीवास्तव आदि की उपस्थिति रही।

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