Move to Jagran APP

Aurangabad News: 7000 का सोलर चूल्हा मिलेगा 3500 में, जीविका दीदी ने दिया महंगे रसोई गैस का सस्‍ता विकल्‍प

औरंगाबाद जिले के पांच प्रखंडों में जीविका दीदी के द्वारा पहले चरण में 50 फीसदी सब्सिडी के साथ पांच हजार चूल्हे बेचे जाएंगे। नवीनगर रफीगंज गोह हसपुरा और दाउदनगर प्रखंडों में एक-एक हजार चूल्हे बेचे जाएंगे। ये चूल्हे महंगे हो रहे रसोई गैस का अच्‍छा विकल्‍प हैं।

By Sumita JaiswalEdited By: Published: Wed, 08 Sep 2021 04:15 PM (IST)Updated: Thu, 09 Sep 2021 08:59 AM (IST)
Aurangabad News: 7000 का सोलर चूल्हा मिलेगा 3500 में, जीविका दीदी ने दिया महंगे रसोई गैस का सस्‍ता विकल्‍प
धुंआ रहित होता है सोलर चूल्‍हा। जागरण फोटो।

औरंगाबाद, जागरण संवाददाता। महिलाओं को धुआं से निजात दिलाने को उज्ज्वला योजना में दिए गए गैस सिलेंडर और चूल्हे की आग महंगाई में ठंडी पड़ गई है। गरीब परिवारों को निशुल्क सिलेंडर दिए गए, लेकिन गैस के दाम बढ़ने से लाभार्थी इन्हें रिफिल नहीं करा पा रहे हैं। मध्यवर्गीय परिवारों ने महंगाई के कारण गैस के चूल्हे के स्थान पर लकड़ी और कोयले का चूल्हा जलाना शुरू कर दिया है। उपभोक्ता कह रहे हैं कि पहले सरकार ने गैस का आदत बनाया और अब प्रतिदिन गैस महंगी हो रही है। सरकार गैस सिलेंडर की कीमतों में गिरावट नहीं कर रही है जिस कारण आम लोगों की परेशानी बढ़ गई है। ऐसे में जीविका द्वारा बेचीं जा रहीं आईडीएस (इंटीग्रेटेड डोमेस्टिक सिस्टम) चूल्हा महिलाओं के लिए लाभकारी साबित होने वाली है।

loksabha election banner

50 प्रतिशत तक की सब्सिडी

इंटीग्रेटेड डोमेस्टिक सिस्टम चूल्हा पर सरकार के द्वारा महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत की सब्सिडी दी जाएगी। जीविका के डीपीएम पवन कुमार ने बताया कि इस चूल्हा की कीमत सात हजार रुपये है परंतु 50 प्रतिशत सब्सिडी के साथ 3500 रुपये में दी जाएगी। चूल्हा लगाने व चलाने के लिए जीविका दीदी को प्रशिक्षण दिया जाएगा। ये खुद घर-घर जाकर चूल्हा लगाकर चलाने के लिए महिलाओं को प्रशिक्षण देंगी।

पांच हजार चूल्हा का होगा वितरण

डीपीएम ने बताया कि पहले चरण में जिले के पांच प्रखंडों में पांच हजार चूल्हा जीविका दीदी के द्वारा बेचा जायेगा। नवीनगर, रफीगंज, गोह, हसपुरा और दाउदनगर प्रखंड में एक-एक हजार चूल्हा बेचा जाएगा। बताया कि इस चूल्हा में विशेष तरह का पंखा लगा हुआ है जिस कारण 80 से 90 प्रतिशत तक लकड़ी आसानी से जल जाती है। धुआं कम निकलता है जिससे महिलाओं के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर नहीं पड़ता है। वे स्वास्थ्य रह सकेंगी। आज सैकड़ों महिलाएं धुआं से होने वाली बीमारी से ग्रसित हैं।

स्वरोजगार से गरीबी दूर कर रही जीविका दीदी

ग्रामीण महिलाओं की गरीबी दूर करने में जीविका की बड़ी भूमिका रेखांकित हो रही है। जिले में हजारों स्वयं सहायता समूह गठित हो चुके हैं। हजारों महिलाएं जुड़ गई हैं। ये महिलाएं आर्थिक क्रियाकलापों से जुड़कर न सिर्फ स्वावलंबी बन रहीं हैं, बल्कि उनका सामाजिक सशक्तिकरण भी हो रहा है। जीविका से जुड़ी महिलाओं के हाथ कभी खाली नहीं रहते। इन्हें अपनी आर्थिक जरूरतों के लिए पति या अभिभावक पर निर्भर नहीं होना पड़ता है। वे स्वरोजगार से जुड़ आर्थिक उन्नयन की राह पर हैं। वे होटल व कैंटीन चला रहीं हैं। दूध उत्पादन, परंपरागत खेती एवं सब्जी उत्पादन कर रुपये कमा रही हैं। अधिकतर ने फल व सब्जी की दुकानें खोल ली है। सौंदर्य प्रसाधन या अपनी पसंद की दुकानें सजा ली हैं। जूते-चप्पल बनाने का कारखाना खोल ली है। कुछ महिलाएं टेंपो खरीदकर चलवा रही हैं। अस्पतालों में कैंटीन का संचालन कर रही हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.